फारूख के जिन्ना वाले बयान पर गरमाई सियासत, केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने दी फिर से इतिहास पढ़ने की नसीहत

फारूख के जिन्ना वाले बयान पर गरमाई सियासत, केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने दी फिर से इतिहास पढ़ने की नसीहत
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जीतेंद्र सिंह ने कहा कि फारूख अब्दुल्ला को एक बार फिर से इतिहास पढ़ने की आवश्यकता है।

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता फारूख अबदुल्ला के जिन्ना वाले बयान को लेकर केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह का बयान सामने आया है। अपने इस बयान में जीतेंद्र सिंह ने कहा है कि फारूख अब्दुल्ला को एक बार फिर से इतिहास पढ़ने की आवश्यकता है।

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केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता फारूख अबदुल्ला को फिर से इतिहास पढ़ने की नसीहत देते हुए कहा कि महात्मा गांधी ने जिन्ना के आगे यह प्रस्ताव रखा था कि यदि वह स्वतंत्र भारत का बंटवारा कर पाकिस्तान बनाने की अपनी जिद छोड़ दें तो वह खुद जिन्ना को स्वतंत्र भारत का पीएम बनाने के लिए कांग्रेस को मनाएंगे।

जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनने की जल्दबाजी

जीतेंद्र सिंह इतिहास के पन्ने पलटते हुए कहते हैं कि जिन्ना को महात्मा गांधी का यह प्रस्ताव पसंद नहीं आया, और हो सकता है शायद उन्हें ऐसा लगता हो कि लोग उन्हें भारत के प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे। उनका कहना है कि जवाहर लाल नेहरू को भी शायद प्रधानमंत्री बनने की जल्दबाजी थी।
इस बयानबाजी के माहौल में केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने फारूख अबदुल्ला पर निशाना साधते हुए कहा कि फारूख अबदुल्ला द्वारा वंशवादी परम्परा को लेकर बहुत से समझौते किए जा चुके हैं।

ये था फारूख अब्दुल्ला का विवादित बयान

फारूक ने अपने विवादित बयान में कहा था कि देश के बंटवारे के लिए जिन्ना जिम्मेदार नहीं थे। फारूख ने भारत के बंटवारे के लिए जवाहर लाल नेहरु, मौलान अब्दुल कलाम अजाद और सरदार पटेल को जिम्मेदार ठहराया है।
फारूक अब्दुल्ला ने एक कार्यक्रम में कहा कि, ” जिन्ना साहब पाकिस्तान बनाने वाले नहीं थे, कमीशन आया, उसमें फैसला किया गया कि हिन्दुस्तान को नहीं बांटेगे, हम मुसलमानों के लिए विशेष प्रतिनिधित्व रखेंगे, अल्पसंख्यकों,सिखों के लिए विशेष व्यवस्था होगी, मगर मुल्क को डिवाइड नहीं करेंगे।”
उन्होंने कहा कि कमीशन के इस फैसले को जिन्ना मान गए, लेकिन नेहरू, मौलाना आजाद और सरदार पटेल नहीं माने, जब ये नहीं हुआ तो जिन्ना ने फिर से पाकिस्तान बनाने की बात कर दी, नहीं तो ऐसा मुल्क कहीं नहीं होता, आज ना बांग्लादेश होता, ना पाकिस्तान होता सिर्फ एक भारत होता।”

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