आईएमडी का काम मौसम की भविष्यवाणी करना है, जानमाल की सुरक्षा शासन की जिम्मेदारी

आईएमडी का काम मौसम की भविष्यवाणी करना है, जानमाल की सुरक्षा शासन की जिम्मेदारी
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बीते कुछ समय से आईएमडी ने मौसम संबंधी भविष्यवाणी करने के लिए एडवांस तकनीक और संसाधनों का प्रयोग करना शुरु कर दिया है।

बीते मई के महीने में देश में अचानक आए आंधी-तूफान और बारिश (थंडरस्ट्रॉम) से हुए जानमाल के भारी नुकसान को लेकर केंद्रीय विज्ञान-प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ़ हर्षवर्धन का कहना है कि उनके मंत्रालय के तहत आने वाले मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) का काम केवल मौसम संबंधी भविष्यवाणियां करना है।

जबकि इन भविष्यवाणियों की मदद से थंडरस्ट्रॉम से होने वाले जानमाल के नुकसान को रोकने का काम संबंधित जगहों पर स्थानीय प्रशासन का है।

यह जानकारी डॉ़ हर्षवर्धन ने यहां बृहस्पतिवार को मंत्रालय की चार साल की उपलब्धियों के बारे में आयोजित एक कार्यक्रम में हरिभूमि द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में दी।

जानमाल का नुकसान दुखद

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बीते कुछ समय से आईएमडी ने मौसम संबंधी भविष्यवाणी करने के लिए एडवांस तकनीक और संसाधनों का प्रयोग करना शुरु कर दिया है।

इसके अलावा किसानों को भी विभाग की ओर से फसलों के संबंध में सटीक जानकारी दी जा रही है। लेकिन इसके बावजूद बीते कुछ वक्त में कई मौतें हुई हैं। यह हम सभी के लिए काफी दुखद अनुभव रहा है।

मैं फिर से यह दोहराना चाहूंगा कि आईएमडी का कार्य केवल मौसम संबंधी भविष्यवाणी करना ही है। उन्होंने कहा कि इस मामले को राज्य और केंद्र के बीच आरोप-प्रत्यारोप का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए।

राज्यों ने की मौसम विभाग की आलोचना

आंकड़ों के हिसाब से आंधी-तूफान से बीते महीने में देश में कुल करीब 250 से 350 लोग मारे जा चुके हैं। इसे लेकर उत्तर-प्रदेश और राजस्थान की सरकार की ओर से मौसम विभाग की आलोचना करते हुए कहा गया था कि उन्होंने इस एक्ट्रीम वेदर की भविष्यवाणी नहीं की थी।

इन दोनों राज्यों में ही अचानक बदले मौसम के दौरान सवार्धिक मौतें हुई हैं। इस तरह से केरल सरकार ने भी मौसम विभाग की आलोचना ओखी तूफान की भविष्यवाणी को लेकर की थी।

इसके जवाब में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव एम़ राजीवन ने कहा कि हम इस तरह के एक्सट्रीम वेदर इवेंट के बारे में भविष्यवाणी उसके आगमन से तीन दिन पहले करते हैं।

हम इस बात को स्वीकार करते हैं कि यह जानकारी लोगों तक पहुंचने में कुछ विषय जरुर रहा है। इसमें सुधार करने की आवश्यकता है और इसके लिए रणनीति बनायी जानी चाहिए।

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