गोमती गोली कांडः आरोपी कांस्टेबल ने दी सफाई, डिप्टी सीएम ने जांच के दिए आदेश

गोमती गोली कांडः आरोपी कांस्टेबल ने दी सफाई, डिप्टी सीएम ने जांच के दिए आदेश
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गोमतीनगर पुलिस के एक कांस्टेबल ने विवेक तिवारी नाम के एक युवक को गोली मार दी। इस घटना से पूरे प्रदेश के लोगों में उबाल है। डिप्टी सीएम केशव मौर्य का कहना है कि जांच की जा रही है। दोषी छोड़े नहीं जाएंगे। वहीं आरोपी कांस्टेबल ने कहा कि उसने सेल्फ डिफेंस में गोली चलाई।
उत्तर प्रदेश में सीएम योगी की पुलिस लगता है जैसे बेलगाम हो गई है। वह अपराधियों को पकड़ने के बजाय निहत्थे आम नागरिकों को मारने में अपनी बहादुरी समझ रही है। गोमतीनगर पुलिस के एक कांस्टेबल ने विवेक तिवारी नाम के एक युवक को गोली मारकर हत्या दी।

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इस घटना से पूरे प्रदेश के लोगों में उबाल है। पुलिस प्रशासन और नेताओं को इस घटना पर जवाब देते नहीं बन रहा है। इस पूरे घटना क्रम में यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि मामले की जानकारी है। पुलिस जांच कर रही है।
अगर पुलिस द्वारा एक निर्दोष को गोली मारी गई है तो दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। गोली मारने वाले आरोपी कांस्टेबल प्रशांत चौधरी का कहना है कि उसने रात के 2 बजे संदिग्ध दशा में एक कार को देख जिसके अंदर की लाइटें बंद थीं।
जब मैं कार के नजदीक गया तो विवेक ने तीन बार मेरे ऊपर गाड़ी चढ़ाने की कोशिश की। जिसके बाद उसने आत्म रक्षा में गोली चलाई। गाड़ी में मौजूद लड़की को पुलिस ने हिरासत में ले रखा और पूछताछ हो रही है। लड़की ने कोई भी जवाब साफ-साफ नहीं दिया।
उसने कहा कि वह चाहती है कि दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। क्या उसके ऊपर किसी तरह का दबाव है इसपर उसने कहा कि वह किसी भी तरह के दबाव में नहीं है। इससे पहले भी यूपी पुलिस पर कई फर्जी एनकाउंटर के आरोप लग चुके हैं। नोएडा में प्रमोशन के लालच में बेवजह एक जिम संचालक को भी गोली मार दी गई थी।

ऐसे सेल्फ डिफेंस पर सवाल तो उठेंगे ही

जिस गाड़ी पर गोली चलाई गई उसे देखे तो पता चलेगा कांस्टेबल प्रशांत चौधरी ने काफी अच्छा निशाना लगाकर विवेक तिवारी पर गोली चलाई थी। अगर उसका निशाना इतना ही अच्छा था तो वह टायर पर गोली मार सकता था। नंबर नोट करके बैकअप की मांग कर सकता था।
लेकिन उसे तो जैसे बंदूक साथ किसी पर भी गोली चलाने का अधिकार मिल गया। आरोपी कांस्टेबल का कहना है कि उसने ऐसा सेल्फ डिफेंस के चलते किया था। सेल्फ डिफेंस के बारे में कानूनी जानकारों का कहना है कि सेल्फ डिफेंस के नाम पर कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को उतना ही नुकसान पहुंचा सकता है जितना उसके बचाव के लिए जरूरी है।
जब पुलिस अपराधियों का एनकाउंटर करती है तो भी उनके पैर में गोली मारती है। कोशिश करती है कि उन्हें जिंदा पकड़े। लेकिन इस केस में तो ऐसा लगता है जैसे कांस्टेबल प्रशांत चौधरी अपने वर्दी के नशे में आकर अपने पुलिस गाइलाइंस को ही भूल गए। उन्होंने अपने आपको ही कोर्ट गवाह और जज समझ के फैसला कर दिया।

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