आंध्र प्रदेश विशेष राज्य विवाद: कैसे मिलता है विशेष राज्य का दर्जा, जानें पहली बार किसे मिला

आंध्र प्रदेश विशेष राज्य विवाद: कैसे मिलता है विशेष राज्य का दर्जा, जानें पहली बार किसे मिला
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विशेष राज्य का दर्जा मिलने वाले राज्य को केंद्र सरकार कोई सहायता 90 फीसदी अनुदान के रूप में और 10 फीसदी कर्ज के रूप में देती है।
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आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा न दिए जाने से केंद्र सरकार से नाराज मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने एनडीए से समर्थन वापस ले लिया है। टीडीपी सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश को राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने की मांग की थी। लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी मांग को दरकिनार कर दिया। जिसके बाद टीडीपी ने एनडीए सरकार से अलग होने का फैसला कर लिया।
किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देना उसके लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। आइए जानते हैं कैसे मिलता है विशेष राज्य का दर्जा...
वैसे तो भारतीय संविधान में किसी भी राज्य को विशेष दर्जा देने का कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन अगर कोई राज्य किसी दूसरे राज्य के संसाधनों के मुकाबले काफी पिछडा है तो ऐसे राज्य को केंद्र सरकार विशेष राज्य का दर्जा देने का फैसला कर सकती है।
किसी भी राज्य को विशेष दर्जा देने के पहले राष्ट्रीय विकास समिति यानी नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल कई तथ्यों जैसे कम जनसंख्या घनत्व, आदिवासी बहुल इलाका, पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्र, इंटरनेशनल बॉर्डर से जुड़ी सीमा, प्रति वयक्ति आय और गैर कर राजस्व की कमी के आधार पर ऐसे राज्यों की पहचान करती है। जिसके बाद किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने पर केंद्र सरकार फैसला करती है।

विशेष राज्य के हैं कई फायदे

विशेष राज्य की श्रेणी में शामिल राज्यों को केंद्र की तरफ से दूसरे राज्यों के मुकाबले ज्यादा सहयोग दिया जाता है। यह सहयोग टैक्स और अन्य योजनाओं के मामले में मुहैया किया जाता है। विशेष राज्य का दर्जा मिलने वाले राज्य को केंद्र सरकार कोई सहायता 90 फीसदी अनुदान के रूप में और 10 फीसदी कर्ज के रूप में देती है।

कब मिला पहली बार विशेष राज्य का दर्जा

साल 1969 में विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने का चलन शुरू हुआ। इस दौरान 5वें वित्तीय आयोग ने तय किया था कि उन राज्यों को केंद्र की तरफ से विशेष सहयोग दिया जाएगा, जो पिछड़े हुए हैं।
उस दौरान इस श्रेणी में असम, नगालैंड और जम्मू-कश्मीर को शामिल किया गया था। बाद में इस श्रेणी में आठ और राज्यों को भी शामिल किया गया। इसमें उत्तराखंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, सिक्किम, त्रिपुरा और मिजोरम को शामिल किया गया है।

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