कुंभ 2019: कुंभ से पहले दौड़ेगी हाई स्पीड ट्रेन 18, साढ़े 11 घंटे का सफर 8 घंटे में तय होगा

कुंभ 2019: कुंभ से पहले दौड़ेगी हाई स्पीड ट्रेन 18, साढ़े 11 घंटे का सफर 8 घंटे में तय होगा
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देश की सबसे पहली हाईस्पीड और मॉर्डन ''ट्रेन 18'' को दिल्ली और वाराणसी के बीच चलाया जाएगा। कहा जा रहा है कि कुंभ से पहले ही इस ट्रेन का संचालन शुरू कर दिया जाएगा। केंद्रीय रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि देश की सबसे तेज दौड़ने वाली मौजूदा ट्रेन से भी यह ट्रेन तेज चलेगी और एक तरह से लगभग 45 फीसदी वक्त की बचत होगी।
देश की सबसे पहली हाईस्पीड और मॉर्डन 'ट्रेन 18' को दिल्ली और वाराणसी के बीच चलाया जाएगा। कहा जा रहा है कि कुंभ से पहले ही इस ट्रेन का संचालन शुरू कर दिया जाएगा। केंद्रीय रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि देश की सबसे तेज दौड़ने वाली मौजूदा ट्रेन से भी यह ट्रेन तेज चलेगी और एक तरह से लगभग 45 फीसदी वक्त की बचत होगी।
रेलमंत्री ने कहा कि दिल्ली और वाराणसी के बीच आमतौर पर सबसे तेज चलने वाली ट्रेन भी 11 घंटे 30 मिनट का वक्त लगाती है लेकिन 'ट्रेन 18' से जब पैसेंजर सफर करेंगे तो यह ट्रेन लगभग आठ घंटे में पहुंचा देगी।
हालांकि उन्होंने ट्रेन का ऑपरेशन शुरू होने के बारे में किसी तारीख की जानकारी नहीं दी लेकिन यह जरूर कहा कि कमिश्नर रेलवे सेफ्टी और रेलवे बोर्ड के बीच विचार विमर्श चल रहा है। जैसे ही यह पूरा होगा, उसके बाद प्रधानमंत्री से वक्त लिया जाएगा ताकि वे इस ट्रेन को ग्रीन सिग्नल दिखा सकें।
हालांकि रेलवे बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि सरकार का इरादा है कि कुंभ शुरू होने से पहले ही इस ट्रेन को चला दिया जाए ताकि कुंभ जाने वाले श्रद्धालु इस ट्रेन का फायदा उठा सकें। यह ट्रेन इलाहाबाद होते हुए ही वाराणसी तक जाएगी।

कुंभ: पेशवाई में विदेश साधू भी बने आकर्षण का केंद्र

यूनेस्को की सूची में मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में शामिल प्रयागराज का कुंभ इस बार देश ही नहीं विदेशी मूल के संतों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन गया है। आध्यात्म की पूंजी संजोने और शांति की खोज में सनातन परंपरा को अपना चुके विदेशी मूल के संत नए साल के पहले दिन से ही मेला क्षेत्र में पहुंचने लगे हैं।

खास बात यह कि इस बार वैश्विक स्तर पर जारी कुंभ की ब्रांडिंग के बीच विदेशी मूल के संत आम लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। फ्रेंच मूल के डैनियल जो कि अब भगवान गिरि बन चुके हैं, यहां आए आनंद अखाड़े का हिस्सा हैं।

दूसरी ओर महानिर्वाणी अखाड़े के सदस्य और अलखपुरी सिद्धपीठ परंपरा के महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानेश्वर पुरी अब अपने पुराने नाम और पहचान को जाहिर नहीं करना चाहते। वह अपनी वर्तमान पहचान से ही संतुष्ट हैं। अखाड़े ने उनकी धर्म में आस्था को देखते हुए उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी है।

जर्मन मूल के संत और वृंदावन में रहने वाले परमाद्वैति महाराज कृष्ण उपासक हैं और कुंभ में परमार्थ निकेतन के शिविर में अपने शिष्यों के साथ इसी महीने पहुंचेंगे। इसी तरह सच्चा बाबा के शिष्य प्रेम बाबा के भी कुंभ में पहुंचने की संभावना है। प्रेम बाबा फ्रांस और जर्मनी समेत समूचे यूरोप में भारतीय आध्यात्म और संस्कृति के वाहक के रूप में जाने जाते हैं।

सरकार ने राधे मां को दी भूमि, नित्यानंद को इंकार

कर्नाटक के विवादित स्वामी नित्यानंद को लेकर प्रयागराज में होने वाले कुंभ में विवाद खड़ा हो गया है। उनके ऊपर लगे आपराधिक मुकदमे की वजह से कुंभ मेला प्रशासन ने उन्हें जमीन व सुविधाएं देने से इनकार कर दिया है।

नित्यानंद महानिर्वाणी अखाड़े में महामंडलेश्वर हैं। ऐसा निर्णय गुप्त जांच रिपोर्ट के सामने आने के बाद लिया गया है जबकि अखाड़े की पेशवाई में न आने के बाद भी राधे मां को मेला प्रशासन ने कुंभ मेला क्षेत्र के महामंडलेश्वर नगर में भूमि दे दी है।

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