कुंभ 2019: कुंभ से पहले दौड़ेगी हाई स्पीड ट्रेन 18, साढ़े 11 घंटे का सफर 8 घंटे में तय होगा

कुंभ: पेशवाई में विदेश साधू भी बने आकर्षण का केंद्र
यूनेस्को की सूची में मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में शामिल प्रयागराज का कुंभ इस बार देश ही नहीं विदेशी मूल के संतों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन गया है। आध्यात्म की पूंजी संजोने और शांति की खोज में सनातन परंपरा को अपना चुके विदेशी मूल के संत नए साल के पहले दिन से ही मेला क्षेत्र में पहुंचने लगे हैं।
खास बात यह कि इस बार वैश्विक स्तर पर जारी कुंभ की ब्रांडिंग के बीच विदेशी मूल के संत आम लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। फ्रेंच मूल के डैनियल जो कि अब भगवान गिरि बन चुके हैं, यहां आए आनंद अखाड़े का हिस्सा हैं।
दूसरी ओर महानिर्वाणी अखाड़े के सदस्य और अलखपुरी सिद्धपीठ परंपरा के महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानेश्वर पुरी अब अपने पुराने नाम और पहचान को जाहिर नहीं करना चाहते। वह अपनी वर्तमान पहचान से ही संतुष्ट हैं। अखाड़े ने उनकी धर्म में आस्था को देखते हुए उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी है।
जर्मन मूल के संत और वृंदावन में रहने वाले परमाद्वैति महाराज कृष्ण उपासक हैं और कुंभ में परमार्थ निकेतन के शिविर में अपने शिष्यों के साथ इसी महीने पहुंचेंगे। इसी तरह सच्चा बाबा के शिष्य प्रेम बाबा के भी कुंभ में पहुंचने की संभावना है। प्रेम बाबा फ्रांस और जर्मनी समेत समूचे यूरोप में भारतीय आध्यात्म और संस्कृति के वाहक के रूप में जाने जाते हैं।
सरकार ने राधे मां को दी भूमि, नित्यानंद को इंकार
कर्नाटक के विवादित स्वामी नित्यानंद को लेकर प्रयागराज में होने वाले कुंभ में विवाद खड़ा हो गया है। उनके ऊपर लगे आपराधिक मुकदमे की वजह से कुंभ मेला प्रशासन ने उन्हें जमीन व सुविधाएं देने से इनकार कर दिया है।
नित्यानंद महानिर्वाणी अखाड़े में महामंडलेश्वर हैं। ऐसा निर्णय गुप्त जांच रिपोर्ट के सामने आने के बाद लिया गया है जबकि अखाड़े की पेशवाई में न आने के बाद भी राधे मां को मेला प्रशासन ने कुंभ मेला क्षेत्र के महामंडलेश्वर नगर में भूमि दे दी है।
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