BRICS के मंच पर चीन ने आंतकवाद पर भारत के सुर में सुर मिलाया

BRICS के मंच पर चीन ने आंतकवाद पर भारत के सुर में सुर मिलाया
X
ब्रिक्स के विदेश मंत्रियों ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधारों की जरूरत है और इसमें विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व बढ़ना चाहिए।

जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी मसूद अजहर को लेकर मतभेद के बावजूद ब्रिक्स के मंच पर चीन ने भारत के साथ आतंकवाद के सभी रूपों में निंदा की है, चाहे इसे किसी ने भी कहीं भी अंजाम दिया हो।

गौरतलब है कि मसूद अजहर को भारत यूएन की ओर से प्रतिबंधित आतंकवादियों की सूची में देखना चाहता है, लेकिन चीन इसके लिए राजी नहीं था।

ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका) के विदेश मंत्री 18 और 19 जून को चीन के पेइचिंग में मिले।

इसमें विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने कहा कि सभी ब्रिक्स देश इस बात पर सहमत हैं कि आतंकवाद मानवता के लिए दुश्मन है और उन्होंने इसके विस्तार पर चिंता जताई है।

भारत की ओर से उन्होंने ध्यान दिलाया गया कि आतंकवादियों में अच्छे और बुरे का फर्क नहीं किया जा सकता है।

इसे भी पढ़ें- सीरिया का विमान गिराने के बाद रूस ने दी अमेरिका को चेतावनी

यहां विदेश मंत्रालय के मुताबिक, सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कहा गया कि वह आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर गठबंधन तैयार करें।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधि को जल्द मंजूर किए जाने पर भी जोर दिया गया। सिंह ने बताया कि संधि को ब्रिक्स को सभी देशों को समर्थन है।

ब्रिक्स के विदेश मंत्रियों ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधारों की जरूरत है और इसमें विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व बढ़ना चाहिए।

चीन और रूस ने इस बात को दोहराया कि ब्राजील, भारत और दक्षिण अफ्रीका के रोल का अंतरराष्ट्रीय मामलों में महत्व है। वे यूएन में इन देशों के बड़े रोल की इच्छा को सपोर्ट करते हैं।

इसे भी पढ़ें- लंदनः मस्जिद के बाहर लोगों पर आतंकी हमला, 2 की मौत 8 गंभीर रूप से घायल

पैरिस अग्रीमेंट से अमेरिका के हटने की घोषणा को इशारों में आड़े हाथों लेते हुए विदेश मंत्रियों ने कहा कि सतत विकास के 2030 के एजेंडे पर पूरी तरह अमल हो। विकसित देश सहायता कार्यक्रमों के अपने वादों को पूरा करें।

ग्लोबलाइजेशन के आर्थिक पहलू संतुलित हों, संरक्षणवाद को खारिज किया जाए। पेरिस जलवायु समझौते के लागू होने का स्वागत करते हुए इन मंत्रियों ने कहा कि सभी देशों को इस अग्रीमेंट का पालन करना चाहिए।

लीबिया और कोरिया में टकराव पर राजनीतिक और राजनैतिक समाधान को समर्थन दिया गया है। एकतरफा सैन्य हस्तक्षेप या आर्थिक प्रतिबंध की निंदा करते हुए कहा गया है कि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है।

बहुध्रुवीय विश्व का समर्थन कर दोहराया गया कि अंतरराष्ट्रीय मामलों में संयुक्त राष्ट्र का केंद्रीय रोल हो।

और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo

Tags

Next Story