OBOR परियोजना के लिए चीन कर रहा है भारत से दोस्ती, देश को ऐसे होगा नुकसान

चीन की महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड परियोजना का भारत कड़ा विरोध कर रहा है। भारत का साफ तौर पर कहना है की इस परियोजना से भारत की सुरक्षा को ख़तरा हो सकता है। दरअसल, वन बेल्ट वन रोड परियोजना चीन से पाकिस्तान तक फैला है।
प्रधानमन्त्री मोदी का कहना है की कोई भी प्रोजेक्ट सदस्य देशों की अखंडता और संप्रभुता की कीमत पर नहीं होना चाहिए। दरअसल चीन की यह परियोजना पाकिस्तान अधिगृहीत कश्मीर से होकर गुजरती है और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।
जिस वजह से भारत की आन्तरिक सुरक्षा का ख़तरा तो बढ़ता ही है साथ ही साथ पाकिस्तान अधिगृहित कश्मीर का मामला भी अभी सुलझा नहीं है। चीन की इस परियोजना का काम लगभग अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचना भारत के लिए ख़तरा उत्पन्न कर सकता है।
वन बेल्ट वन रोड परियोजना शी जिनपिंग का सपना है और इस परियोजना से जिनपिंग अफ्रीका यूरोप समेत अन्य देशों को भी एशिया के देशों से जोड़ना चाहते है।
चलिए हम आपको बताते हैं कि क्यों इस परियोजना का भारत पुरजोर विरोध कर रहा है।
1- चीन की यह परियोजना पाकिस्तान अधिगृहित कश्मीर से होकर गुजरती है। अगर चीन यह रोड बनाने में कामयाब हो जाता है तो पाकिस्तान के साथ ही साथ चीन भी भारत के लिए एक ख़तरा बन कर सामने आ जाएगा। चीन की विस्तारवादी राजनीति का यह अहम् हिस्सा है क्योंकि कश्मीर का मुद्दा आजादी के बाद से ही द्विपक्षीय मुद्दे के तौर पर देखा जाता है।
2. चीन ने अपनी इस महत्वाकांक्षी परियोजना में लगभग 700 ख़रब रुपये लगाए है। आप इस बात से अंदाजा लगा सकते है की चीन इस परियोजना को किस हद तक बढ़ाना चाहता है। इस परियोजना में पहाड़ों के अन्दर सुरंगे ,नदियों पर बड़े बड़े पुल ,सैकड़ों किलोमीटर गैस पाइपलाइन बिछाई जा रही है। जिससे आप इस बात का अंदाजा अच्छी तरह लगा सकते की अगर चीन पूरे भारत की अर्थव्यवस्था का एक तिहाई धन सिर्फ इस परियोजना में क्यों लगा रहा है आखिर चीन के मंसूबे क्या हो सकते है।
3.चीन ने इस प्रोजेक्ट के तहत सैकड़ों किलोमीटर रेललाइन बिछाई है जिससे यूरोपीय देशों को आसानी से एशियाई देशों से जोड़ा जा सकता है। और यह रूट अफ्रीका और एशिया के कई बंदरगाहों को इस नेटवर्क से जोड़ेगा। इस रेल नेटवर्क से कई देशों के मध्य फ्री ट्रेड जोन का भी निर्माण होगा इस प्रोजेक्ट से चीन अपने साथ पूरी दुनिया की लगभग एक तिहाई जनसंख्या को अपने साथ जोड़ लेगा। इस समय चीन में घरेलू मांग काफी तेजी के साथ घट रही है तो जाहिर सी बात है की चीन को अब दूसरे देशों की तरफ रुख करना होगा।
4. 1962 के युद्ध में चीन ने लद्दाख के एक बड़े हिस्से को अपने कब्जे में कर रखा है और चीन को इतना बड़ा हिस्सा पाकिस्तान ने उपहार स्वरुप दिया है जबसे इस आर्थिक गलियारे का निर्माण शुरू हुआ है तब से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में चीन की भी भूमिका कहीं न कहीं बढ़ी है।
इन सभी तथ्यों से आप आसानी से समझ सकतें है कि अगर चीन का प्रभुत्व पाक अधिकृत कश्मीर में बढ़ा तो सामरिक दृष्टि से भारत की शांति और समृद्धि के विकास में बाधा उत्पन्न ज़रूर होगा क्यूंकि सीमा पर पाकिस्तान हमेशा नियमों का उल्लंघन करता है।
विश्व के बड़े मंचों पर चीन हमेशा पाकिस्तान को समर्थन करता है जिससे पकिस्तान आर्थिक और सैन्य रूप से चीन समर्थित है।
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