राज्यसभा में अल्पमत मोदी के लिए मुसीबत, आसान नहीं होगा विधेयक पारित करवाना

नई दिल्ली. नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भले ही भाजपा ने कभी न कर पाने वाला करिश्मा दिखाया हो, मगर संसदीय कार्यवाही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुश्किलें कतई कम नहीं हैं। लोकसभा में राजग के प्रचंड बहुमत के कारण किसी विधेयक के लटकने का खतरा नहीं, मगर राज्सभा से भी उसे पारित कराना केंद्र सरकार के लिए आसान नहीं होगा। राज्यसभा में गैर भाजपा दल बहुमत में हैं। वर्ष 2016 में एक तिहाई सांसद रिटायर होने वाले हैं उसके बाद भी भाजपा और एनडीए के साथी दलों को सांसदों की गिनती के लिहाज से कुछ खास लाभ होता दिखाई नहीं दे रहा।
यही कारण है कि भाजपा के रणनीतिकारों ने तय किया है कि किसी महत्पूर्ण विधेयक पर विपक्ष की ओर से विवाद उठाने की कोशिश की गई तो उसे ‘एग्जिक्यूटिव-आर्डर’ के तहत और कई बार ‘आर्डिनेंस’ के तईं लाया जाएगा। जिससे रास पटल पर विधेयक के स्वरूप को रखने, उस पर बहस कराने या वोटिंग कराकर पारित करने के झमेले से राजग सरकार बच जाएगी।
संयुक्त संसदीय सत्र बुलाकर कामकाज निपटाया जाता है उसी तर्ज पर महत्वपूर्ण विधेयकों पर भी ऐसा प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि राजनीति से ऊपर देशहित के कामकाज को सहजता से निपटाए जा सकें। राज्यसभा की कुल 245 सांसदों की संख्या के एवज में भाजपानीत राजग के खाते में सांसदों की संख्या महज 65 है।
कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए के 102 सांसद हैं जब कि राष्ट्रपति से नामित सांसदों की संख्या 10 है। इसी साल नवंबर में राज्यसभा का पहला चुनाव होना है। उत्तरप्रदेश से 10 और उत्तराखंड से 1 सांसद नवंबर में रिटायर होंगे। इनमें से एक भी सीट भाजपा के पास नहीं आ सकेगी।
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