Yoga Day Celebration Photos: चिनाब ब्रिज से शिप तक योगासन, 2 करोड़ लोगों ने किया योग

देखें 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की दमदार तस्वीरें
Yoga Day 2025: 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पूरी दुनिया में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस साल की थीम- "एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग" (Yoga for Self and Society) थी। दुनिया के 191 देशों में 1300 स्थानों पर 2,000 से ज्यादा कार्यक्रम हुए। भारत में अकेले 1 लाख से अधिक जगहों पर 'योग संगम' नाम से आयोजन हुए, जिसमें करीब 2 करोड़ लोगों ने भाग लिया।
यहां हम योग दिवस 2025 की कुछ चुनिंदा तस्वीरें लेकर आए हैं, जो इस आयोजन को ऐतिहासिक बनाती हैं
योग दिवस 2025 की शानदार तस्वीरें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों और हजारों लोगों के साथ योग किया।

विशाखापट्टनम में 3 लाख लोगों और 40 देशों के राजनयिकों ने समुद्र के किनारे योग सत्र में हिस्सा लिया।

मुंबई में महाराष्ट्र पुलिस के जवानों ने ताज होटल के पास सामूहिक योगाभ्यास किया।

लेह में 14,200 फीट ऊंचाई पर पैंगोंग त्सो झील के किनारे ITBP के जवानों ने योग किया।

जम्मू-कश्मीर के चिनाब ब्रिज, दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे आर्च ब्रिज पर अद्भुत योग दृश्य दिखा।

केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने ऐतिहासिक लेह पैलेस में योग किया।

डल झील (श्रीनगर) के किनारे सैकड़ों लोगों ने सामूहिक योग में हिस्सा लिया।

दिल्ली में यमुना नदी के बीच बच्चों ने योग प्रदर्शन कर सभी का ध्यान खींचा। साथ ही दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता और मंत्री कपिल मिश्रा ने भी योग किया।


राजस्थान के थार रेगिस्तान में रेत के बीच योग करते लोगों की तस्वीरें अद्वितीय रहीं। सीएम भजन लाल शर्मा ने भी लोगों के साथ योग किया।

BSF के जवानों ने अटारी बॉर्डर पर अनुशासन के साथ योग किया।

बाबा रामदेव ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र में आयोजित योग कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने उधमपुर में सेना के जवानों के साथ योग किया।

चेन्नई के INS अड्यार नेवल स्टेशन पर नौसेना के जवानों ने सामूहिक योग किया।

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कुरुक्षेत्र में योग दिवस मनाया।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद भवन परिसर में योग किया।

योग दिवस 2025: वैश्विक स्वास्थ्य के लिए भारत की अनूठी सौगात
योग केवल एक व्यायाम नहीं, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत और वैश्विक स्वास्थ्य का माध्यम बन चुका है। दुनियाभर में हुए इन आयोजनों ने एक बार फिर साबित किया कि भारत की यह प्राचीन विद्या आज भी विश्व में सबसे प्रभावशाली और स्वीकार्य है।
