Maharashtra: कौन है नक्सल कमांडर ​​भूपति, जिसने सीएम फडणवीस की मौजूदगी में किया सरेंडर

Who is Naxal commander Bhupati
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सीएम देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में नक्सल कमांडर भूपति सरेंडर करते हुए। 

महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में मोस्टवांटेड नक्सल कमांडर मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ ​​भूपति समेत करीब 60 नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया है। सीएम ने इसे महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के लिए फायदेमंद बताया है।

देश के तीन राज्यों में नक्सली हमलों को अंजाम देने वाले मोस्टवांटेड नक्सल कमांडर मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ ​​भूपति ने गढ़चिरौली पुलिस मुख्यालय में सरेंडर कर दिया। सीएम देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में भूपति के अलावा करीब 60 नक्सलियों ने भी आत्मसमर्पण कर दिया। भूपति के बारे में बताने से पहले बताते हैं कि सीएम फडणवीस ने इस सरेंडर पर क्या प्रतिक्रिया दी।

उन्होंने कहा कि हम सभी माओवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। चाहे छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र या तेलंगाना... हमारी पुलिस लंबे समय से भूपति के साथ संपर्क बनाए थी। साथ ही भूपति की पत्नी तारका, जो एक बहुत बड़ी कैडर है, उसने एक जनवरी को महाराष्ट्र में आत्मसमर्पण कर दिया। उसके बाद जिस तरह से हमारी पुलिस और प्रशासन ने उसके साथ व्यवहार किया, उससे एक विश्वास का निर्माण हुआ। यह आत्मसमर्पण महाराष्ट्र के साथ ही छत्तीसगढ़ और तेलंगाना को भी फायदा हुआ है।

कौन है नक्सल कमांडर भूपति

69 वर्षीय नक्सल कमांडर मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति ने बीकॉम तक की पढ़ाई की है। वह नक्सली आंदोलन का प्रभावशाली नेता माना जाता है। वह 40 सालों से संगठन में सक्रिय है। छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना के रेड कॉरिडोर में अभियानों का संचालन भूपति के नेतृत्व में होता रहा है। वह भाकपा (माओवादी) का प्रवक्ता भी था।

महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के साथ ही ओडिशा और आंध्र प्रदेश को जोड़ लिया जाए तो उस पर करीब 1.10 करोड़ रुपये की इनाम राशि घोषित है। खास बात है कि भूपति को कई नामों से पहचाना जाता है। ज्ञात नामों में सोनू, सोनू दादा, वेणुगोपाल, अभय, मास्टर, विवेक और वेणु जैसे नाम शामिल हैं।

एनकाउंटर के डर से किया सरेंडर?

सीएम देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि पुलिस और प्रशासन ने जिस तरह से भूपति की पत्नी के साथ व्यवहार किया, उसके चलते विश्वास कायम हुआ, जिससे वो सरेंडर करने को तैयार हो गया। हालांकि दूसरा पहलु यह भी है कि गढ़चिरौली और अबूझमाड़ जैसे नक्सलियों के गढ़ों में जिस तरह से 'ऑपरेशन क्लीनअप' का चल रहा था, उससे भूपति को लग रहा था कि अगर सरेंडर नहीं किया तो एनकाउंटर हो सकता है।

भूपति ने अपने साथियों को भी पत्र लिखा था कि अब सरेंडर ही आखिरी विकल्प बचा है। हमें हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति और संवाद का मार्ग अपनाना होगा। हालांकि भूपति के इस आग्रह को केंद्रीय कमेटी ने खारिज कर दिया था, लेकिन अब 60 से अधिक कैडरों ने भूपति के साथ सरेंडर कर शांति प्रस्ताव का समर्थन किया है।

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