वीर बाल दिवस 2025: साहिबजादों को नमन कर पीएम मोदी ने युवाओं में भरा जोश, जेन Z पर जताया भरोसा

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भारत मंडपम में वीर बाल दिवस समारोह के दौरान पीएम मोदी ने साहिबजादों के बलिदान को याद कर युवाओं से राष्ट्र निर्माण का आह्वान किया।

वीर बाल दिवस 2025 पर भारत मंडपम में पीएम मोदी ने गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों के बलिदान को याद कर युवाओं से विकसित भारत का आह्वान किया।

“छोटी उम्र में भी बड़ा साहस-साहिबजादों की शहादत से युवा भारत को प्रेरणा”

भारत मंडपम में आयोजित वीर बाल दिवस के राष्ट्रीय समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहिबजादों- साहिबजादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह की अदम्य वीरता और बलिदान को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि छोटी उम्र में इन वीर बालकों ने मुगल सम्राट औरंगजेब की क्रूर सत्ता और मजहबी कट्टरता के सामने डटकर मुकाबला किया, जो सत्य और असत्य की लड़ाई का प्रतीक है।

साहिबजादों ने उम्र की सभी सीमाओं को तोड़कर भारत के मूल विचारों की रक्षा की, जिससे मजहबी आतंक का आधार ही हिल गया। पीएम मोदी ने इसे भारत के गौरवशाली इतिहास का हिस्सा बताया और कहा कि ऐसी विरासत वाला राष्ट्र कुछ भी हासिल कर सकता है।

वीर बाल दिवस की शुरुआत 2022 में प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा से हुई थी, जब 26 दिसंबर को गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों की शहादत के सम्मान में यह दिवस मनाने का फैसला लिया गया। 1705 में मुगल सेना द्वारा इन चारों साहिबजादों की हत्या कर दी गई थी। इस दिवस का उद्देश्य न केवल इतिहास को याद करना है, बल्कि नई पीढ़ी को साहस और त्याग की प्रेरणा देना भी है।

कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 20 बच्चों को 'प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' से सम्मानित किया। ये बच्चे 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से चुने गए थे। इनमें वीरता, नवाचार, खेल, कला आदि क्षेत्रों के विजेता शामिल थे।

खास तौर पर, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बॉर्डर पर जवानों को चाय-नाश्ता पहुंचाने वाले फिरोजपुर के श्रवण सिंह और 14 वर्षीय क्रिकेटर वैभव सूर्यवंशी जैसे बच्चे चर्चा में रहे। वैभव पुरस्कार लेने दिल्ली आए थे, इसलिए विजय हजारे टूर्नामेंट का मैच मिस किया। दो बच्चों- तमिलनाडु की ब्योमा और बिहार के कमलेश कुमार को मरणोपरांत सम्मान दिया गया, जिनके पुरस्कार उनके माता-पिता ने ग्रहण किए।


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 20 बच्चों को 'प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' से सम्मानित किया।

पीएम मोदी ने पुरस्कार विजेताओं से व्यक्तिगत मुलाकात की और उन्हें संबोधित करते हुए जेन Z और जेन अल्फा पीढ़ी पर गहरा भरोसा जताया। उन्होंने कहा, “आपकी पीढ़ी ही भारत को विकसित भारत के लक्ष्य तक ले जाएगी। मैं आपकी क्षमता, आत्मविश्वास और ताकत देखता हूं, इसलिए आप पर पूरा भरोसा है।”

मोदी ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पर जोर देते हुए बताया कि आजादी के बाद भी मैकाले की शिक्षा नीति से बोई गई हीन भावना को खत्म करना जरूरी है। हाल के संसद सत्र में सांसदों द्वारा तमिल, मराठी, बांग्ला आदि भारतीय भाषाओं में दिए गए 160 से अधिक भाषणों को उन्होंने इस मुक्ति की झलक बताया।

पीएम ने युवाओं को सलाह दी कि छोटी उम्र में भी बड़े काम किए जा सकते हैं और पुरस्कार विजेता इसकी मिसाल हैं। उन्होंने डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, खेलो इंडिया और नई शिक्षा नीति जैसे प्रयासों का जिक्र किया, जो रटंत प्रणाली के बजाय सोचने, सवाल पूछने और प्रैक्टिकल लर्निंग पर केंद्रित हैं।


युवाओं से अपील की कि शॉर्ट-टर्म पॉपुलैरिटी की चमक-दमक में न फंसें, बल्कि स्पष्ट सिद्धांतों और आदर्शों पर टिकें। अपनी सफलता को देश की सफलता से जोड़ें, क्योंकि आने वाले 25 वर्ष भारत की दिशा तय करेंगे।

कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां हुईं, जो साहिबजादों की वीरता और भारत की समृद्ध विरासत को जीवंत करती रहीं। पीएम मोदी का संबोधन न केवल इतिहास की याद दिलाता है, बल्कि युवा भारत को आत्मनिर्भर और विकसित बनाने का संकल्प भी जगाता है। यह दिवस अब हर साल बच्चों और युवाओं को प्रेरित करने का बड़ा मंच बन गया है।

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