Union Budget: केंद्रीय बजट से इंफ्रा को मिलेगी रफ्तार, अटके प्रोजेक्ट्स के लिए 25 हजार करोड़ फंड देने की योजना

Union Budget 2026
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केंद्रीय बजट 2026 में सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को बड़ी राहत दे सकती है।

केंद्रीय बजट 2026 में सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को बड़ी राहत दे सकती है। अटके प्रोजेक्ट्स को दोबारा शुरू करने के लिए 25 हजार करोड़ रुपये के रिस्क गारंटी फंड की योजना पर विचार किया जा रहा है, जिससे बैंकों का जोखिम घटेगा और कर्ज प्रवाह बढ़ेगा।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार देश में लंबे समय से अटकी हुई इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को दोबारा गति देने के लिए एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आगामी केंद्रीय बजट में लगभग 25,000 करोड़ रुपए का एक विशेष रिस्क गारंटी फंड पेश किया जा सकता है। इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में फाइनेंसिंग से जुड़ी दिक्कतों को कम करना और बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों को ऐसे प्रोजेक्ट्स में कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित करना है, जो अब तक जोखिम के कारण अटके हुए हैं। दरअसल, देश में कई बड़े सड़क, बिजली, बंदरगाह, रेलवे और शहरी विकास से जुड़े प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे नहीं हो पाए हैं। देरी, लागत बढ़ने और ऊंची ब्याज दरों की वजह से निजी निवेशक और बैंक इन परियोजनाओं से दूरी बनाए हुए हैं।

बैंकों के जोखिम कोकवर देगा रिस्क गारंटी फंड

इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए केंद्र सरकार जिस रिस्क गारंटी फंड पर विचार कर रही है, वह बैंकों के जोखिम को आंशिक रूप से अपने ऊपर लेगा। इससे बैंकों को यह भरोसा मिलेगा कि अगर किसी परियोजना में तय शुरुआती चरण में समस्या आती है, तो उन्हें नुकसान का पूरा बोझ अकेले नहीं उठाना पड़ेगा। इस प्रस्ताव को नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (NaBFID) के तहत गठित एक समिति ने वित्त मंत्रालय को सौंपा है। रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी (NCGTC) इस फंड के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को गारंटी प्रदान कर सकती है। यह व्यवस्था कुछ हद तक छोटे और मझोले कारोबारों के लिए चल रही क्रेडिट गारंटी योजनाओं जैसी होगी, जिनके जरिए बिना ज्यादा जमानत के कर्ज उपलब्ध कराया जाता है।

फंसे लचीली शर्तों पर उपलब्ध होगा कर्ज

केंद्र सरकार का मानना है कि इस फंड से बैंकों को अधिक लचीली शर्तों पर कर्ज देने का अवसर मिलेगा और वे बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को फंड कर पाएंगे। हालांकि, इस गारंटी के बदले परियोजनाओं को एक मामूली शुल्क देना होगा, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि इससे कर्ज की ब्याज दरों पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। इसके उलट, इससे कर्ज का प्रवाह बढ़ेगा और अटकी परियोजनाएं दोबारा शुरू हो सकेंगी। यह कदम ऐसे समय में सामने आ रहा है, जब सरकार का लक्ष्य भारत को 2030 तक लगभग 7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है। इसके लिए अनुमान है कि देश को करीब 2.2 ट्रिलियन डॉलर के इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश की जरूरत होगी। अगर यह प्रस्ताव बजट में शामिल होता है, तो इसे निजी निवेश को आकर्षित करने और देश की विकास रफ्तार तेज करने की दिशा में एक अहम पहल माना जाएगा।

(एपी सिंह की रिपोर्ट)

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