Red Fort blast: दिल्ली विस्फोट के कुछ दिन पहले ही तुर्की यात्रा पर गए थे, डॉ उमर और मुजम्मिल; एजेंसियों ने किया बड़ा खुलासा

दिल्ली विस्फोट के कुछ दिन पहले ही तुर्की यात्रा पर गए थे, डॉ उमर और मुजम्मिल; एजेंसियों ने किया बड़ा खुलासा
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लाल किला विस्फोट मामले में जांच एजेंसियों ने हैरान करने वाला खुलासा किया है। गिरफ्तार 12 आरोपियों में से 6 डॉक्टर हैं, जिनका संबंध अलग-अलग राज्यों और संस्थानों से है।

(एपी सिंह) दिल्ली। दिल्ली बम विस्फोट की जांच अब अंतरराष्ट्रीय दिशा में बढ़ गई है। सुरक्षा एजेंसियों को मिले इनपुट्स से यह पता चला है कि गिरफ्तार डॉक्टर मॉड्यूल के दो अहम सदस्य -डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल कुछ समय पहले ही तुर्की की यात्रा पर गए थे। उनके पासपोर्ट और ट्रैवल रिकॉर्ड की जांच से स्पष्ट हुआ है कि दोनों ने जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े टेलीग्राम ग्रुप्स से जुड़ने के तुरंत बाद ही तुर्की की यात्रा पर गए थे।

एजेंसियों को शक है कि यह यात्रा सामान्य नहीं थी, बल्कि आतंकी नेटवर्क से जुड़ी एक योजनाबद्ध गतिविधि थी। जांच एजेंसियों के अनुसार, तुर्की से लौटने के बाद ही इन दोनों ने देशभर में टेटर मॉड्यूल फैलाने की रूपरेखा तैयार की। जैश के विदेशी हैंडलर ने निर्देश दिया था कि टीम के सदस्य एक ही क्षेत्र में न रहें, ताकि किसी भी एजेंसी को उन पर संदेह न हो। इस रणनीति के तहत ही उन्होंने फरीदाबाद, सहारनपुर और श्रीनगर जैसे शहरों में अपनी मौजूदगी बनाई और अलग-अलग जगह से सक्रियता बढ़ाई।

जांच एजेंसियों के अनुसार तुर्की प्रवास के दौरान दोनों को टेरर ऑपरेशन से संबंधित खास प्रशिक्षण और निर्देश दिए गए थे। जांच एजेंसियों के अनुसार इस दौरान उन्होंने वहां आतंकी ट्रेनर की निगरानी में प्रशिक्षण लिया। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल अब धमाके से पहले के तीन घंटे-शाम 3 बजे से 6:30 बजे के बीच-की मोबाइल टावर लोकेशन और कॉल डिटेल्स का गहन विश्लेषण कर रही है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि उस समय उमर ने किन किन लोगों से बात की और कौन-से डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर समय बिताया।

पूछताछ में डॉ. शाहीन सईद, कबूला अपना जुर्म

इस बीच, जांच से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पूछताछ के दौरान डॉ. शाहीन ने स्वीकार किया कि उसने अपने साथी डॉक्टरों के साथ मिलकर देश के कई शहरों में धमाकों की योजना तैयार की थी। उसने यह भी कबूला कि वह पिछले दो सालों से विस्फोटक सामग्री एकत्र कर रही थी। शाहीन और उसके साथियों का संबंध फरीदाबाद के एक व्हाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल से था, जो जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद से जुड़ा है। यह पूरा नेटवर्क अल फलाह यूनिवर्सिटी से ही संचालित किया जा रहा था, जहाँ से वे आतंकी गतिविधियों की योजना बनाते और संचालन करते थे।

विस्फोट वाले दिन कई स्थानों पर घूमते दिखा उमर

जांच एजेंसियों के मुताबिक, सोमवार शाम 6:52 बजे विस्फोट में इस्तेमाल होने वाली i20 कार को दोपहर करीब 2:30 बजे दिल्ली के कनॉट प्लेस के इनर सर्कल में देखा गया। कार का चालक मोहम्मद उमर रहा जिसने जानबूझकर शाम तक इंतजार किया ताकि इलाके में अधिक भीड़ हो और धमाके में ज्यादा लोगों को नुकसान पहुंचे। फुटेज से पता चला है कि उमर पहले चांदनी चौक स्थित गौरीशंकर मंदिर की ओर गया, जहां से उसने दिशा बदलकर सुनेहरी मस्जिद के पार्किंग क्षेत्र में कार खड़ी की। वहां वह करीब तीन घंटे तक छिपा रहा और मौके का इंतजार करता रहा। जांच से यह भी सामने आया है कि धमाके से पहले यह कार फरीदाबाद से दिल्ली के बीच कई जगहों से गुजरी थी।

कुछ जांचकर्ताओँ की राय यह सुसाइडल अटेम्प्ट नहीं

जांचकर्ताओं ने से कुछ लोगों की राय है कि जिस तरह से कार में विस्फोट हुआ वह सुसाइडल अटेम्प्ट जैसी घटना नहीं लगती। अगर यह सुसाइडल अटैक होता तो उमर किसी टार्गेट को टक्कर मारने का प्रयास करता ताकि ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो। सीसीटीवी फूटेज से पता चला है कि वह कार लेकर शहर में घूमता रहा। इस दौरान कार ने किसी टारगेट को टक्कर नहीं मारी। न किसी बिल्डिंग में घुसी। जबकि इस दौरान उसे भीड़ को टार्गेट करने के कई मौके भी मिले होंगे। यानी यह सुसाइड अटेम्प्ट न होकर एक हादसा भी हो सकता है। इसका मतलब है कि वह उस दिन कहीं विस्फोटक लगाने का प्रयास कर रहा था और इसी दौरान अचानक कार में विस्फोट हो गया।

साजिश में गिरफ्तार 12 लोगों में 6 डॉक्टर

लाल किला विस्फोट मामले में जांच एजेंसियों ने हैरान करने वाला खुलासा किया है। गिरफ्तार 12 आरोपियों में से 6 डॉक्टर हैं, जिनका संबंध अलग-अलग राज्यों और संस्थानों से है। इनमें लखनऊ की डॉ. शाहीन सईद, फार्माकोलॉजी विशेषज्ञ, और फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मुजम्मिल शकील प्रमुख हैं, जिन पर 2900 विस्फोटक सामग्री जुटाने का आरोप है। डॉ. आदिल अहमद, कश्मीर निवासी, सहारनपुर में सीनियर रेजीडेंट के रूप में कार्यरत थे, जिनके लॉकर से एके-47 बरामद हुई। डॉ. सज्जाद अहमद और डॉ. उमर पुलवामा मॉड्यूल से जुड़े बताए गए हैं, जबकि डॉ. परवेज अंसारी व डॉ. तजामुल मलिक के फोन और दस्तावेज आतंकी नेटवर्क से संपर्क दर्शाते हैं। यह मामला बताता है कि आतंकवादी संगठन अब शिक्षित वर्ग को भी अपने मकसद के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

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