Toll Tax: अधूरी और गड्ढों युक्त सड़कों पर टोल वसूली गैरकानूनी, सुप्रीम कोर्ट से यात्रियों को बड़ी राहत

खराब सड़कों पर टोल टैक्स लेना अन्यायपूर्ण, सुप्रीम कोर्ट से यात्रियों को बड़ी राहत; NHAI झटका
Supreme Court toll tax decision 2025: वाहन मालिकों और आम यात्रियों के लिए बड़ी राहत देने वाली खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 19 अगस्त को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय राजमार्ग यदि अधूरे हैं, गड्ढों से भरे हैं और ट्रैफिक जाम के कारण दुर्गम हो गए हैं तो उनमें चलने वाले यात्रियों को टोल टैक्स देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश केरल हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखते हुए दिया है, जिसमें त्रिशूर जिले के पलियेक्कारा टोल प्लाजा (Paliyekkara Toll Plaza) पर टोल वसूली पर रोक लगाई गई थी।
अदालत की टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश भूषण आर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने कहा, नागरिकों ने वाहन खरीदते समय ही पर्याप्त टैक्स चुकाते हैं। फिर उन्हें नालियों और गड्ढों से गुजरने के लिए दोबारा टैक्स भुगतान क्यों करना पड़े?
NHAI और रियायतग्राही की अपील खारिज
कोर्ट ने एनएचएआई (NHAI) और रियायतग्राही की अपीलों को खारिज करते हुए कहा कि सड़क उपयोगकर्ताओं का कल्याण आर्थिक नुकसान से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।
एनएचएआई ने क्या कहा?
एनएचएआई और कंसेशनेयर पक्ष ने कोर्ट में तर्क रखते हुए कहा, टोल टैक्स सड़क रखरखाव के लिए जरूरी है। इसे रोक देने से प्रतिदिन ₹49 लाख का घाटा होगा, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा, अगर एक ही सड़क पर यात्रा करने में 12 घंटे लगते हैं तो कोई यात्री ₹150 क्यों देगा?
ठेकेदार की जवाबदेही तय होगी
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए कि ब्लैक स्पॉट निर्माण के लिए जिम्मेदार ठेकेदार मेसर्स पीएसटी इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन्स को भी जवाबदेह ठहराया जाए। अदालत ने केरल हाईकोर्ट से निगरानी जारी रखने को कहा है।
कब तक निलंबित रहेगा टोल?
टोल निलंबन फिलहाल चार सप्ताह तक या यातायात सामान्य होने तक जारी रहेगा। स्थिति सुधारने के बाद एनएचएआई पुनः टोल वसूली का अनुरोध कर सकता है।
नजीर बनेगा SC का फैसला
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला देशभर के यात्रियों के लिए एक नजीर बन सकता है। यह आदेश इस बात को मजबूती से स्थापित करता है कि जब तक सड़कें सुचारू और सुरक्षित न हों, तब तक जनता से टोल वसूली करना जनता के विश्वास और अधिकारों के खिलाफ है।
