देशभर में होगा SIR: दस्तावेजों की अनिवार्यता होगी कम, 2 लाख नए BLO होंगे तैनात; जानें ECI की तैयारी

Special Intensive Revision
Special Intensive Revision: भारत चुनाव आयोग (ECI) ने देशव्यापी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की तैयारी शुरू कर दी है। बुधवार, 17 सितंबर को आयोग ने बताया कि 2003-2004 से पहले के मतदाताओं को दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी। क्योंकि उनके नाम पिछली संशोधित वोटर लिस्ट में दर्ज हैं। आयोग का यह कदम मतदाता पंजीकरण प्रक्रिया को आसान बनाने और व्यापक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पिछली SIR को माना जाएगा आधार
SIR के लिए हर राज्य में आधार वर्ष अलग होगा। उदाहरण के लिए बिहार में 2003 की मतदाता सूची को आधार बनाया गया है। यहां 60% यानी लगभग 4.96 करोड़ वोटरों को दस्तावेज दिखाने की जरूरत नहीं पड़ी। इसी तहर दिल्ली में पिछली समीक्षा 2008 में और उत्तराखंड में 2006 में हुई थी। असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और जम्मू-कश्मीर में 2005 में गहन समीक्षा हुई थी।
पहली बार 'डिक्लेरेशन फॉर्म' अनिवार्य
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चुनाव आयोग ने पहली बार 'डिक्लेरेशन फॉर्म' लागू किया है। जिन वोटर्स का जन्म 1 जुलाई 1987 से पहले हुआ है, उन्हें सिर्फ शपथ-पत्र देना होगा। जबकि, जिन लोगों का जन्म 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच हुआ है, उन्हें माता-पिता का जन्म-प्रमाण पत्र देना होगा।
दस्तावेजों की सूची में बदलाव
चुनाव आयोग ने SIR की शुरुआती प्रक्रिया में 11 दस्तावेज मान्य किए थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आधार कार्ड को 12वां दस्तावेज माना गया। राज्यवार जरूरतों के अनुसार कुछ दस्तावेज घटाए-बढ़ाए जा सकते हैं। बिहार से मिला अनुभव, अब पूरे देश में होगा सुधार
समय सीमा में भी होगा बदलाव
चुनाव आयोग ने बिहार में हुए SIR से कई सबक लिए हैं। मतदाता फॉर्म भरने की अवधि 30 से बढ़ाकर 45 दिन की जा सकती है। ड्राफ्ट लिस्ट पर आपत्तियों के लिए भी 45 दिन का समय मिलेगा। दस्तावेजों की जांच के लिए 1 माह का समय तय किया जाएगा। यानी पूरी प्रक्रिया 4 से 5 महीने के दौरान पूरी की जाएगी।
दो लाख नए BLO की नियुक्ति
देशव्यापी SIR के लिए चुनाव आयोग ने करीब 2 लाख नए बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) नियुक्त करने की योजना तैयार की है। बताया कि 250 घरों के बीच कम से कम एक BLO की तैनात किए जाएंगे। राज्य निर्वाचन अधिकारियों को वेबसाइट पर पुरानी संशोधित सूचियां अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं।
SIR का कोई संबंध बिहार चुनाव से नहीं
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह कवायद किसी राज्य विशेष के चुनाव से नहीं जुड़ी है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर मतदाता सूची को अद्यतन करने की नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है।
6 महीने 28 पहल ✨
— Election Commission of India (@ECISVEEP) September 17, 2025
आइए जानते हैं चुनाव आयोग की नई पहल, अनिवार्य वीवीपैट गणना के बारे में !
6 Months 28 Initiatives✨
Let us know about the #ECI's new initiative, mandatory VVPAT counting! pic.twitter.com/KVV4dqfp7p
6 माह में ECI के 28 सुधार
चुनाव आयोग ने इलेक्शन प्रक्रिया में पारदर्शिता के उद्देश्य से पिछले 6 माह में 28 सुधार किए हैं। इसमें अनिवार्य वीवीपैट गणना महत्वपूर्ण है। बताया कि गड़बड़ी की आशंका या शिकायत पर वीवीपैट पर्चियों की गणना की जाएगी। बशर्ते डाटा मिटाया न गया हो।
EVM मतपत्रों उम्मीदवारों की कलर फोटो
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने EVM मतपत्रों की स्पष्टता बढ़ाने के लिए उनके डिज़ाइन और मुद्रण में संशोधन किया है। ईवीएम मतपत्र पर उम्मीदवारों की तस्वीरें अब रंगीन होंगी। जिसमें उम्मीदवार का चेहरा तस्वीर के तीन-चौथाई हिस्से पर होगा। उनके सीरियल नंबर भी भारतीय अंकों में होंगे। फ़ॉन्ट का आकार 30 होगा।
