RSS शताब्दी विजयादशमी उत्सव: संघ प्रमुख भागवत ने किया शस्त्र पूजन, हेडगेवार को दी श्रद्धांजलि; पूर्व राष्ट्रपति कोविंद मुख्य अतिथि

RSS centenary Vijayadashami celebration: Mohan Bhagwat performed Shastra Puja, former President Ramnath Kovind chief guest.
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RSS शताब्दी विजयादशमी उत्सव: मोहन भागवत ने शस्त्र पूजन किया, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि।

नागपुर में आरएसएस ने शताब्दी विजयादशमी उत्सव मनाया। मोहन भागवत ने शस्त्र पूजन कर हेडगेवार को श्रद्धांजलि दी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि रहे, रेशमबाग मैदान में हजारों स्वयंसेवक शामिल।

नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने गुरुवार को अपने शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में नागपुर के रेशमबाग मैदान में एक भव्य और ऐतिहासिक विजयादशमी समारोह की शुरुआत की। इस समारोह का केंद्र बिंदु आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बहुप्रतीक्षित वार्षिक संबोधन होगा, जिसकी गूंज राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में सुनाई देगी।

यह समारोह न केवल संगठन के गौरवशाली 100 वर्षों का उत्सव है, बल्कि इसके भविष्य के दृष्टिकोण को भी रेखांकित करता है।


पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की गरिमामयी उपस्थिति

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, इस ऐतिहासिक अवसर के मुख्य अतिथि के रूप में बुधवार को नागपुर पहुंचे। उन्होंने समारोह से पहले दीक्षाभूमि का दौरा किया, वह पवित्र स्थल जहां 1956 में डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था। उनकी उपस्थिति ने इस समारोह को और अधिक गौरव प्रदान किया।

रेशमबाग में भव्य आयोजन और स्वयंसेवकों का जोश

नागपुर के रेशमबाग मैदान में आयोजित इस समारोह में लगभग 21,000 स्वयंसेवक, अपने पारंपरिक गणवेश में, उत्साह और अनुशासन के साथ शामिल हुए। कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक शस्त्र पूजन से हुई, जिसके बाद योग, मार्शल आर्ट्स, और प्रभावशाली घोष (बैंड वादन) का प्रदर्शन हुआ। मैदान में स्वयंसेवकों की भव्य परेड ने अनुशासन और एकता का शानदार प्रदर्शन किया, जो आरएसएस की वैचारिक शक्ति और संगठनात्मक दक्षता का प्रतीक है।

राष्ट्रीय स्तर पर शताब्दी उत्सव

देश भर में 83,000 से अधिक आरएसएस शाखाओं में शताब्दी विजयादशमी उत्साहपूर्वक मनाई जा रही है। पूरे वर्ष हिंदू सम्मेलनों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सामाजिक पहलों की एक श्रृंखला आयोजित की जाएगी। वरिष्ठ पदाधिकारियों के अनुसार, शताब्दी कैलेंडर के तहत देश भर में एक लाख से अधिक कार्यक्रमों की योजना है, जो संगठन के व्यापक प्रभाव और जन-जन तक पहुंच को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने शताब्दी उत्सव का शुभारंभ किया

आरएसएस के शताब्दी वर्ष ने इस विजयादशमी को एक विशेष महत्व प्रदान किया है। 1 अक्टूबर को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट और चांदी का सिक्का जारी कर समारोह की शुरुआत की। यह कदम न केवल संगठन के योगदान को सम्मानित करता है, बल्कि इसके वैचारिक प्रभाव को राष्ट्रीय स्तर पर उजागर करता है।


आरएसएस का गौरवशाली इतिहास

1925 में विजयादशमी के दिन डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने मात्र 17 लोगों की उपस्थिति में इस संगठन की नींव रखी थी। 1926 में इसका नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रखा गया, और उसी वर्ष पहला औपचारिक मार्च आयोजित हुआ, जो आज भी एक परंपरा के रूप में जीवित है। सौ वर्षों में, आरएसएस ने सामाजिक एकता, राष्ट्रीयता और सांस्कृतिक गौरव के लिए अथक कार्य किया है, जो इसे भारत के सबसे प्रभावशाली संगठनों में से एक बनाता है।

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