Punjab News: एथलीट फौजा सिंह को टक्कर मारने वाला गिरफ्तार; पुलिस के सामने कबूला जुर्म

Fauja Singh Accident Case
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Fauja Singh Accident Case

Fauja Singh Accident Case: पंजाब पुलिस ने मंगलवार (15 जुलाई) की रात बड़ी कार्रवाई की है। जालंधर में एथलीट फौजा सिंह (114) को टक्कर मारने वाले कार ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया है।

Fauja Singh Accident Case: पंजाब पुलिस ने मंगलवार (15 जुलाई) की रात बड़ी कार्रवाई की है। जालंधर में एथलीट फौजा सिंह (114) को टक्कर मारने वाले कार ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने फॉर्च्यूनर (PB 20C 7100) भी बरामद की है। पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने अपना जुर्म कबूल कियाहै। बुधवार (16 जुलाई) को आरोपी को कोर्ट में पेश किया जाएगा।

जानिए कब, कैसे हुआ था हादसा
फौजा सिंह 14 जुलाई को खाना खाने के बाद सैर पर निकले थे। हाईवे पर अज्ञात कार ने धावक को टक्कर मार दी। सिर, छाती और पसलियों पर गंभीर चोट आई। धावक को अस्पताल में भर्ती करवाया। शाम 6 बजे डॉक्टरों ने फौजा सिंह को मृत घोषित कर दिया।

आरोपी तक ऐसे पहुंची पुलिस
हादसे के बाद से पुलिस आरोपी की तलाश कर रही थी। पुलिस टीम ने कुछ गाड़ियां लिस्ट आउट की थीं। एक फॉर्च्यूनर गाड़ी की पहचान मंगलवार रात को की गई। नंबर से पता चला कि गाड़ी कपूरथला के अठौली गांव के रहने वाले वरिंदर सिंह के नाम पर रजिस्टर्ड है। जालंधर पुलिस कपूरथला में वरिंदर तक पहुंचीं। वरिंदर सिंह से पूछताछ में पता चला कि कनाडा से आए एक NRI अमृतपाल सिंह ढिल्लों ने उसकी कार खरीदी थी।

आरोपी ने क्या कहा
पुलिस ने देर रात अमृतपाल को गिरफ्तार कर गाड़ी बरामद की। हादसे के बाद अमृतपाल सीधा अपने गांव दासूपुर गया था। पूछताछ में अमृतपाल ने अपना जुर्म कबूल किया।आरोपी ने पुलिस को बताया-वह मुकेरिया से फोन बेचकर लौट रहा था। जब वह ब्यास पिंड के पास पहुंचा तो एक बुजुर्ग उसकी गाड़ी की चपेट में आ गए। उसे नहीं पता था कि वो बुजुर्ग फौजा सिंह हैं। देर रात मीडिया में खबरें आईं, तब हादसे की गंभीरता का एहसास हुआ।


जीवन की अद्भुत यात्रा

फौजा सिंह का जन्म 1 अप्रैल 1911 को हुआ था। जीवनी लेखक खुशवंत सिंह की किताब "माई टर्बनड टोर्नेडो" के मुताबिक, फौजा सिंह पांच साल की उम्र तक ठीक से चल नहीं पाते थे, लेकिन बड़े होकर एक शौकिया धावक बने। फौजा सिंह ने भारत-पाक विभाजन और फिर दुर्घटनाओं व अन्य त्रासदियों का दंश झेलते रहे। परिवार के कई सदस्यों को खोने के बाद वे अवसाद में चले गए। उससे उबरने के लिए दौड़ना शुरू किया।

89 साल में जागा मैराथन का शौक
1990 के दशक में इंग्लैंड जाकर बेटे के साथ रहने लगे। वहां 89 वर्ष की आयु में उनका मैराथन का शौक जागा और फिर प्रोफेशनल धावक बन गए। लंदन, न्यूयॉर्क, टोरंटो और हांगकांग जैसी कई अंतरराष्ट्रीय मैराथनों में न सिर्फ भाग लिया बल्कि कई रिकॉर्ड बनाए।

विश्व स्तर पर पहचान
फौजा सिंह को “पगड़ी वाला बवंडर” के नाम से जाना जाता था। उन्होंने कई उम्र-दराज धावकों के लिए प्रेरणा का काम किया। उनकी फिटनेस, जीवनशैली और अनुशासन का लोग सम्मान करते थे।



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