वंदे मातरम् के 150 वर्ष: PM मोदी ने राष्ट्रव्यापी स्मरणोत्सव का उद्घाटन किया, विभाजन पर दिया बड़ा बयान

वंदे मातरम पहली बार बंकिमचंद्र के उपन्यास 'आनंदमठ' में प्रकाशित हुआ था।
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने को राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' की रचना के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में, देशव्यापी स्मरणोत्सव का उद्घाटन किया। नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित इस मुख्य समारोह में प्रधानमंत्री ने सामूहिक 'वंदे मातरम' गायन का नेतृत्व किया।
इस अवसर को चिह्नित करने के लिए, प्रधानमंत्री ने एक स्मारक डाक टिकट और एक विशेष स्मारक सिक्का भी जारी किया। यह वर्ष भर चलने वाला समारोह 7 नवंबर 2026 तक जारी रहेगा, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय गीत के इतिहास और महत्व को जन-जन तक पहुंचना है।
1937 में, ‘वंदे मातरम’ के महत्वपूर्ण पदों, उसकी आत्मा के एक हिस्से को अलग कर दिया गया था। ‘वंदे मातरम’ को तोड़ दिया गया था।
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'वंदे मातरम' के इस विभाजन ने, देश के विभाजन के भी बीज बो दिए थे।
राष्ट्र-निर्माण के इस महामंत्र के साथ यह अन्याय क्यों हुआ, यह आज की पीढ़ी को जानना जरूरी… pic.twitter.com/8GQWWtwIoS
वंदे मातरम की महत्ता और विभाजन पर पीएम का बयान
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' के महत्व की बात की। उन्होंने कहा कि यह गीत केवल दो शब्द नहीं हैं, बल्कि यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम का घोषणापत्र था जिसने देश के हर कोने में क्रांति की भावना जगाई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “वंदे मातरम् भारत की आज़ादी का उद्घोष था और हर काल में प्रासंगिक रहेगा।” उन्होंने 1937 का ज़िक्र करते हुए कहा कि उस दौरान वंदे मातरम् के एक हिस्से को अलग कर दिया गया, जो उनके अनुसार देश को विभाजन की ओर ले जाने वाली सोच को दर्शाता था।
पीएम मोदी ने सवाल उठाते हुए कहा- “राष्ट्र निर्माण के इस महामंत्र के साथ ऐसा अन्याय क्यों हुआ?” उन्होंने यह भी कहा कि वही विभाजनकारी मानसिकता आज भी देश के सामने चुनौती बनी हुई है।
गीत का इतिहास और बंकिमचंद्र का योगदान
प्रधानमंत्री ने 'वंदे मातरम' के इतिहास और रचनाकार बंकिमचंद्र चटर्जी के योगदान को भी याद किया। उन्होंने कहा कि 150 साल पहले बंकिमचंद्र चटर्जी ने इस गीत के माध्यम से मातृभूमि की वंदना और भक्ति की भावना को अभिव्यक्ति दी थी। यह गीत पहली बार बंकिमचंद्र के उपन्यास 'आनंदमठ' में प्रकाशित हुआ था और बाद में यह भारतीय राष्ट्रीय चेतना का केंद्र बन गया।
पीएम मोदी ने बताया कि 'वंदे मातरम' ने स्वतंत्रता आंदोलन के हर चरण में क्रांतिकारियों को प्रेरित किया और उन्हें एकजुट करने का काम किया।
वंदे मातरम्, हमें हौसला देता है कि "ऐसा कोई संकल्प नहीं जिसकी सिद्धि न हो सके, ऐसा कोई लक्ष्य नहीं जिसे हम भारतवासी प्राप्त न सकें।" pic.twitter.com/tGpW5lYLBH
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स्मरणोत्सव का उद्देश्य और आगे की रूपरेखा
केंद्र सरकार द्वारा आयोजित इस स्मरणोत्सव का मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी को इस ऐतिहासिक गीत की विरासत से जोड़ना है। इस एक वर्ष की अवधि के दौरान, देश भर के शिक्षण संस्थानों, सरकारी कार्यालयों और सांस्कृतिक केंद्रों में 'वंदे मातरम' के महत्व पर आधारित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
इन कार्यक्रमों में शैक्षणिक प्रतियोगिताएं, संगोष्ठियां और सामूहिक गायन शामिल होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह समारोह राष्ट्रभक्ति के प्रति समर्पण के एक चिरस्थायी प्रतीक के सम्मान में एक श्रद्धांजलि है ।
