DGHS का बड़ा आदेश: फिजियोथेरेपिस्ट अब नहीं लगा पाएंगे नाम से पहले 'Dr.'! जानें पूरा मामला

Physiotherapist Dr prefix ban DGHS order
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DGHS ने कहा कि फिजियोथेरेपिस्ट मेडिकल डॉक्टर नहीं हैं, इसलिए वे 'Dr.' प्रिफिक्स का इस्तेमाल नहीं कर सकते।

DGHS ने कहा है कि फिजियोथेरेपिस्ट मेडिकल डॉक्टर नहीं हैं, इसलिए वे 'Dr.' प्रिफिक्स का इस्तेमाल नहीं कर सकते। जानें अदालतों और मेडिकल काउंसिल्स का क्या कहना है।

Physiotherapist Dr prefix ban: स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) ने फिजियोथेरेपिस्ट्स को बड़ा झटका दिया है। DGHS ने साफ कर दिया है कि फिजियोथेरेपिस्ट मेडिकल डॉक्टर नहीं हैं, इसलिए वे अपने नाम के आगे 'Dr.' का प्रिफिक्स नहीं लगा सकते।

DGHS ने जारी किया निर्देश

9 सितंबर को जारी पत्र में DGHS की निदेशक डॉ. सुनीता शर्मा ने कहा कि फिजियोथेरेपिस्ट अगर 'Dr.' का इस्तेमाल करते हैं तो यह भारतीय मेडिकल डिग्री अधिनियम, 1916 का उल्लंघन होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे मरीज और आम जनता गुमराह होते हैं और यह स्थिति झोलाछाप जैसी प्रैक्टिस को बढ़ावा दे सकती है।

सिर्फ रेफर किए गए मरीजों का ही इलाज कर सकते हैं

DGHS ने स्पष्ट किया कि फिजियोथेरेपिस्ट प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा देने या खुद से रोग की पहचान (डायग्नोसिस) करने के योग्य नहीं हैं। वे सिर्फ उन्हीं मरीजों का इलाज कर सकते हैं जिन्हें किसी मान्यता प्राप्त डॉक्टर ने रेफर किया हो। गलत तरीके से इलाज देने पर मरीज की स्थिति बिगड़ भी सकती है।

अदालतों और मेडिकल काउंसिल का हवाला

पत्र में पटना हाई कोर्ट, मद्रास हाई कोर्ट और देश की कई मेडिकल काउंसिल के पुराने फैसलों का भी जिक्र किया गया है। इन आदेशों में भी साफ कहा गया था कि फिजियोथेरेपिस्ट और ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट 'Dr.' का टाइटल इस्तेमाल नहीं कर सकते।

पहले मिली थी 'Dr.' उपाधि की अनुमति

गौरतलब है कि इसी साल अप्रैल में राष्ट्रीय सहयोगी एवं स्वास्थ्य व्यवसाय आयोग (NCAHP) ने फिजियोथेरेपिस्ट्स को नाम से पहले 'Dr.' और बाद में 'PT' लगाने की अनुमति दी थी। यह फैसला 2025 के नए फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रम लॉन्च के समय लिया गया था।

लेकिन DGHS ने इस फैसले को खारिज करते हुए कहा कि 'डॉक्टर' की उपाधि सिर्फ एलोपैथी, आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी जैसी मान्यता प्राप्त चिकित्सा पद्धति के डॉक्टरों तक ही सीमित है।

नियम का उल्लंघन करने पर होगी कानूनी कार्रवाई

DGHS ने चेतावनी दी कि अगह कोई फिजियोथेरेपिस्ट इस नियम का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ भारतीय मेडिकल डिग्री अधिनियम (IMA Act) की धारा 6, 6A और 7 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही 2025 फिजियोथेरेपी सिलेबस से 'Dr.' प्रिफिक्स को तुरंत हटाने का निर्देश दिया गया है।

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