Parliament Winter Session: मनरेगा का नाम बदलने के बिल पर लोकसभा में भारी हंगामा, विपक्ष बोला- नाम बदलकर मूल मुद्दों से ध्यान हटाया जा रहा

संसद के शीतकालीन सत्र में मनरेगा की जगह लाए गए नए ग्रामीण रोजगार गारंटी बिल को लेकर लोकसभा में भारी हंगामा।
Parliament Winter Session: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में ग्रामीण रोजगार से जुड़े नए कानून को लेकर जोरदार हंगामा हुआ। सरकार ने मनरेगा की जगह नया रोजगार गारंटी बिल- पूरा नाम- 'विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) बिल, 2025'- पेश किया, जिस पर विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध जताया और सदन में नारेबाजी की। विपक्ष का कहना है कि सरकार जरूरी मुद्दों पर चर्चा करना नहीं चाहती है।
शिवराज सिंह चौहान ने किया बिल पेश
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में नया ग्रामीण रोजगार गारंटी विधेयक पेश किया। सरकार का कहना है कि यह कानून पुराने ढांचे की कमियों को दूर करेगा और ग्रामीण स्तर पर रोजगार व्यवस्था को और मजबूत बनाएगा।
विकसित भारत – जी राम जी, विधेयक 2025
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) December 16, 2025
ग्रामीण विकास,
विकसित भारत का आधार#ViksitBharat_G_RAM_G pic.twitter.com/QkaurtiDc1
नए विधेयक के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 125 दिन रोजगार की गारंटी देने का प्रावधान किया गया है, जबकि मौजूदा मनरेगा में 100 दिन का प्रावधान था। इसके अलावा मजदूरी भुगतान की व्यवस्था को साप्ताहिक करने का दावा किया गया है।
कांग्रेस ने सरकार पर बोला हमला
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने नाम बदलने को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि केवल नाम बदलने की सनक समझ से परे है। उनके अनुसार नए कानून से ग्राम पंचायतों के अधिकार कमजोर होंगे और मजदूरी दर में कोई ठोस बढ़ोतरी नहीं की गई है।
#WATCH | Delhi | On ‘The Viksit Bharat – Guarantee for Rozgar and Ajeevika Mission (Gramin): VB – G RAM G bill to rename MGNREGA, Congress MP Priyanka Gandhi Vadra says," Father of the nation, Mahatma Gandhi should not be insulted...It appears that only the name is being changed,… pic.twitter.com/cDV54HcAHs
— ANI (@ANI) December 16, 2025
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने बहस के दौरान कहा कि मनरेगा देश की सबसे सफल सामाजिक योजनाओं में से एक रही है। उन्होंने कोविड काल का जिक्र करते हुए कहा कि इस योजना ने संकट के समय करोड़ों लोगों को सहारा दिया था।
कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार मूल समस्याओं को सुलझाने के बजाय सिर्फ नाम बदलकर राजनीतिक संदेश देना चाहती है। विपक्ष का दावा है कि इससे ग्रामीण मजदूरों के अधिकार कमजोर होंगे।
राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ने का आरोप
विपक्ष का कहना है कि जहां पहले रोजगार योजना का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाती थी, वहीं नए कानून में राज्यों को भी 10 से 40 प्रतिशत तक हिस्सेदारी करनी होगी । इसे लेकर कई विपक्षी दलों के साथ एनडीए के कुछ सहयोगियों ने भी सवाल उठाए हैं ।
संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया बिल
सरकार ने विवाद को देखते हुए नए ग्रामीण रोजगार विधेयक को संसद की संयुक्त समिति को भेजने का फैसला किया है। समिति इस कानून के सभी प्रावधानों की समीक्षा करेगी और अपनी रिपोर्ट संसद में पेश करेगी।
