युद्ध एक, दुश्मन तीन: ऑपरेशन सिंदूर से भारतीय सेना को मिले बड़े सबक; डिप्टी COAS राहुल आर ने साझा की चुनौतियां

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ऑपरेशन सिंदूर से भारतीय सेना को मिले सबक; Lt Gen राहुल आर बोले-पाक के साथ चीन-तुर्किए से भी लड़े।  

ऑपरेशन सिंदूर में भारत तीन मोर्चों पर लड़ा: पाकिस्तान, चीन और तुर्किये से मिली चुनौतियाँ। डिप्टी COAS लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने फिक्की इवेंट में बताया आधुनिक युद्ध की चुनौतियों ने भारतीय सेना को नई सीख दी।

Operation Sindoor : भारत के डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने शुक्रवार (4 जुलाई 2025 ) को फिक्की द्वारा आयोजित 'न्यू एज मिलिट्री टेक्नोलॉजीज़' कार्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन आधुनिक युद्ध की सच्चाइयों और खतरों को सामने लाया और भारतीय सेना को कई रणनीतिक सबक मिले।

डिप्टी COAS राहुल आर ने क्या कहा

  • लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने स्पष्ट किया कि भारत तीन फ्रंट पर एक साथ युद्ध लड़ रहा था। पाकिस्तान, जहां हमला हुआ और जवाबी कार्रवाई हुई। चीन, जिसने पाकिस्तान को 81% सैन्य हार्डवेयर सप्लाई किया। तीसरे मोर्चे पर हमारे सामने तुर्किये था। उसने पाकिस्तान को Bayraktar ड्रोन और अन्य UAVs दिए।
  • लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि चीन ने भारत को हथियारों की 'लैब टेस्टिंग ज़ोन' के रूप में इस्तेमाल किया। पाकिस्तान के पास मौजूद चीनी तकनीक और तुर्की के ड्रोन ने युद्ध को नया रूप दिया।

कैसे हुआ ऑपरेशन सिंदूर?

यह जवाबी ऑपरेशन 7 मई को अंजाम दिया गया, जब PoK और पाकिस्तानी क्षेत्र में 9 आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की गई। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल के पहलगाम हमले के जवाब में था, जिसमें 26 टूरिस्ट्स की हत्या की गई थी। भारतीय सेना ने 100 आतंकियों को मार गिराया, और 10 मई को सीजफायर की सहमति बनी।

टेक्नोलॉजी और डिफेंस: कहां पिछड़े?

लेफ्टिनेंट जनरल सिंह के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर ने भारतीय सेना को यह दिखाया कि DGMO स्तर की बातचीत के दौरान दुश्मन को हमारे लाइव मूवमेंट की जानकारी मिल रही थी। भारत को मजबूत एयर डिफेंस, काउंटर-ड्रोन सिस्टम, और रॉकेट-आर्टिलरी शील्ड की ज़रूरत है। अगली बार दुश्मन पॉपुलेशन सेंटर्स को निशाना बना सकता है, इसलिए तैयारी अभी से करनी होगी।

5th जनरेशन वॉर की चेतावनी

लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने कहा, अगली जंग वो हो सकती है जिसमें एक कंप्यूटर एक्सपर्ट किसी कमरे में बैठकर पूरे सिस्टम को कंट्रोल करे। यह फिजिकल नहीं बल्कि डिजिटल युद्ध होगा। उन्होंने बताया कि सेना जल्द ही एक 'ड्रोन फ्रेमवर्क' लेकर आ रही है। हालांकि अब भी इंजन और सीक्रेट तकनीक जैसी चीजें बाहर से मंगवानी पड़ती हैं।

इजराइल से सीख: आयरन डोम जैसा सिस्टम चाहिए
डिप्टी COAS ने कहा कि इजराइल के आयरन डोम जैसे सिस्टम भारत के लिए मॉडल हो सकते हैं, लेकिन भारत का भौगोलिक विस्तार और सीमित बजट, चुनौती बनते हैं। हम इजराइल से सीख सकते हैं, लेकिन भारत का क्षेत्र बड़ा है और इन सिस्टम्स पर हजारों करोड़ खर्च करने होंगे। फिर भी अब और देर नहीं की जा सकती।"

टारगेटिंग में ह्यूमन इंटेलिजेंस और डेटा एनालिसिस
डिप्टी COAS के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर में कुल 21 टारगेट्स की पहचान की गई थी। लास्ट मोमेंट पर 9 को निशाना बनाने का फैसला लिया गया। यह टारगेटिंग डेटा, इंटेलिजेंस और रणनीतिक प्लानिंग पर आधारित थी।

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