पूर्व CJI चंद्रचूड़ की चेतावनी: ‘एक देश, एक चुनाव’ से छोटे दल हाशिए पर, ECI को असीमित शक्ति पर चिंता

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एक राष्ट्र, एक चुनाव: पूर्व CJI चंद्रचूड़ की राय, शक्तियों को लेकर जताई चिंता। 

पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' को लेकर चिंता जताई। उन्होंने छोटे दलों की भूमिका और चुनाव आयोग की शक्तियों में बढ़ोतरी पर सवाल उठाए। जानें इस प्रणाली के फायदे, चुनौतियां और आर्थिक असर।

DY Chandrachud on One Nation One Election: भारत में 'एक देश, एक चुनाव' (One Nation, One Election) को लेकर चर्चा तेज हो गई है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय दी है। उन्होंने कहा, लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं है। इस दौरान उन्होंने चुनाव आयोग (ECI) को मिलने वाली शक्तियों पर गंभीर चिंता जताई है।

ECI की शक्तियों पर सवाल
पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव पर अपनी राय संसदीय समिति को सौंपी है। बताया कि अगर यह बिल पारित होता है तो ECI को राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल घटाने-बढ़ाने की शक्ति मिल सकती है। इसे संवैधानिक संतुलन के लिहाज से उचित नहीं कहा जा सकता। पूर्व सीजेआई ने ऐसी परिस्थितियां स्पष्ट रूप से परिभाषित करने का सुझाव दिया। ताकि, आयोग स्पष्ट निर्णय ले सके।

क्षेत्रीय दलों पर पड़ेगा प्रभाव
पूर्व CJI ने यह भी चेताया कि एक साथ चुनाव कराने से क्षेत्रीय और छोटी पार्टियां हाशिए पर जा सकती हैं, क्योंकि राष्ट्रीय पार्टियों के पास संसाधन और प्रभाव अधिक होता है। उन्होंने चुनावी खर्च और फाइनेंसिंग को पारदर्शी बनाने की मांग की। ताकि, बराबरी का मंच बन सके।

पूर्व CJI यूयू ललित और रंजन गोगोई ने क्या कहा?

पूर्व CJI यूयू ललित ने चरणबद्ध चुनाव की वकालत की, लेकिन कार्यकाल घटाने पर कानूनी चिंता जताई। जबकि, पूर्व CJI रंजन गोगोई ने मार्च और अब 11 जुलाई को समिति के साथ हुई चर्चा में ECI को असीमित अधिकार दिए जाने पर आपत्ति जताई।

लागत और सुरक्षा चुनौती

  • EVM की लागत: अगर 2034 में यह नीति लागू होती है तो ₹1.5 लाख करोड़ सिर्फ EVM पर खर्च होंगे।
  • सुरक्षा बलों की आवश्यकता: वर्तमान 3.40 लाख बल की बजाय 7 लाख सुरक्षा कर्मियों की जरूरत पड़ेगी।

थिंक टैंक रिपोर्ट: वोटिंग पैटर्न में समानता

IDFC Institute की स्टडी के अनुसार, चुनाव जब एक साथ होते हैं तो 77% मतदाता एक ही पार्टी को वोट देते हैं। जबकि, इन चुनावों में अंतर 6 माह से ज्यादा का हुआ तो समान वोटिंग का यह आंकड़ा घटकर 61% से नीचे आ जाता है। यानी स्पष्ट है कि एक साथ चुनाव से राष्ट्रीय पार्टियों को फायदा होगा।

एकसाथ चुनावों के 4 बड़े फायदे

फायदा

विवरण

शासन में निरंतरता

बार-बार चुनाव से बचाव, सरकारें विकास पर केंद्रित

पॉलिसी

पैरालिसिस में कमी आचार संहिता की बाधा कम

वित्तीय खर्च

चुनावी खर्च, सुरक्षा और संसाधनों में कटौती

अफसरों की ड्यूटी

बार-बार नहीं लगेगी प्रशासन का मूल कार्य बाधित नहीं होगा

आँकड़े जो सपोर्ट करते हैं यह योजना

  • 2019-2024 के बीच 676 दिन देश में आचार संहिता लागू रही।
  • 2024 लोकसभा चुनाव में 1 लाख करोड़ रुपए का खर्च हुआ।

चुनौतियों को हल करना जरूरी

भारत में 'एक देश, एक चुनाव' लागू किया जा सकता है, लेकिन इससे जुड़ी आर्थिक, प्रशासनिक और राजनीतिक चुनौतियों को हल करना होगा। पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने भी यही राय दी है। उन्होंने कहा, संवैधानिक संतुलन और लोकतांत्रिक विविधता को सुरक्षित रखना उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि संसाधनों की बचत।

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