दिल्ली में माओवादी साजिश का भंडाफोड़: NIA ने यूपी निवासी विशाल सिंह को किया गिरफ्तार

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NIA ने दिल्ली से मथुरा निवासी विशाल सिंह को माओवादी साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया।

NIA ने दिल्ली से मथुरा निवासी विशाल सिंह को माओवादी साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया। आरोपी ड्रोन से जंगलों में तकनीक पहुंचा चुका है और गुप्त बैठकों में भी शामिल रहा। जानें पूरी जांच और गिरफ्तारी की डिटेल्स।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए सीपीआई (माओवादी) की उत्तर क्षेत्रीय इकाई को दोबारा सक्रिय करने की गहरी साजिश का पर्दाफाश किया है। इस सिलसिले में एजेंसी ने उत्तर प्रदेश के मथुरा निवासी विशाल सिंह को दिल्ली से गिरफ्तार किया है।

एनआईए ने जब्त किए डिजिटल उपकरण

एनआईए ने पश्चिमी दिल्ली स्थित आरोपी के आवास पर छापेमारी की, जहां से हार्ड ड्राइव, पेन ड्राइव, मोबाइल फोन समेत कई आपत्तिजनक डिजिटल उपकरण जब्त किए गए हैं। ये सभी सबूत आरोपी के माओवादी संगठन से गहरे जुड़ाव की ओर इशारा करते हैं।

ड्रोन के जरिए जंगलों में माओवादी नेताओं तक पहुंचाई तकनीक

जांच में खुलासा हुआ है कि विशाल सिंह एक सक्रिय माओवादी सदस्य है। वह बिहार के चकरबंदा और पंचरुखिया जंगलों में संगठन के शीर्ष नेताओं तक एक ड्रोन डिवाइस पहुंचा चुका है, जिसका इस्तेमाल हिंसक और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए किया जाना था।

तकनीकी प्रशिक्षण और गुप्त बैठकों में शामिल

एनआईए के अनुसार, आरोपी ने माओवादी कैडरों को तकनीकी प्रशिक्षण भी दिया है और साल 2019 में बिहार के घने जंगलों में संगठन की केंद्रीय समिति की गुप्त बैठकों में भी हिस्सा लिया था।

इससे पहले भी हो चुकी है एक गिरफ्तारी

इससे पहले अगस्त 2024 में एनआईए ने अजय सिंगल उर्फ अमन को गिरफ्तार किया था, जो हरियाणा और पंजाब में सीपीआई (माओवादी) की राज्य संगठन समिति का प्रभारी था।

उत्तर भारत में नेटवर्क को फिर से खड़ा करने की कोशिश

एनआईए की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला माओवादी संगठन की उस रणनीतिक साजिश का हिस्सा है जिसके तहत वह उत्तर भारत के राज्यों – उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश – में अपनी कमजोर हो चुकी पकड़ को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।

शहरी क्षेत्रों में ओवरग्राउंड वर्कर्स के जरिए प्रचार अभियान

संगठन ने शहरी इलाकों में छिपे कैडर और सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका निभा रहे ओवरग्राउंड वर्कर्स के माध्यम से भर्ती और प्रचार गतिविधियां संचालित कीं। इसके लिए फ्रंटल संगठन और छात्र यूनियन का भी सहारा लिया गया।

झारखंड से मिल रही थी आर्थिक मदद

इन गतिविधियों को अंजाम देने के लिए झारखंड स्थित माओवादी संगठन के पूर्वी क्षेत्रीय ब्यूरो से वित्तीय सहायता भी दी जा रही थी।

एनआईए की जांच जारी

एनआईए फिलहाल पूरे नेटवर्क की गहन जांच कर रही है और इस मामले में आगे भी और गिरफ्तारियां संभव हैं।

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