Gaganyaan Mission Astronaut Suit: भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान की लॉन्चिंग 2024 के अंत या 2025 की शुरुआत में होगी। इसके लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों को चुन लिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने जब अंतरिक्ष यात्रियों के नामों का ऐलान किया तो वे नीले रंग के सूट में थे। क्या आपने कभी सोचा कि नीले रंग में ही क्यों सभी अंतरिक्ष यात्री नजर आए? इसकी खास वजह है। सूट बेंगलुरु में स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT) की एक टीम ने डिजाइन किया है। 

निफ्ट टीम ने अंतरिक्ष यात्रियों के लिए विंग्स भी डिजाइन किए। सूट को कपास के कपड़े से बनाया गया है। सूट का रंग नीला इसलिए रखा गया, क्योंकि यह आसमान के रंग के समान है और शांति का प्रतीक भी है। 

Gaganyaan Mission

150 डिजाइन पर किया काम
टीम ने अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सूट बनाने में 150 डिजाइनों पर काम किया। इसरो को 70 अलग-अलग विकल्प दिए। आखिरकार नीले रंग के सूट को चुना गया। फिलहाल अंतरिक्ष यात्रियों को एक और सूट में देखा गया, जो सफेद और नीले रंग में है। उसे भारत ने रूस से खरीदा है। उस सूट का इस्तेमाल अंतरिक्ष यात्री केवल पृथ्वी पर कर रहे हैं। 

संस्थान की प्रोफेसर जोनाली बाजपेयी ने कहा कि नीला रंग शांति और दृढ़ता की भावना का प्रतीक है। अंतरिक्ष यात्री पैच में विंग्स, अशोक चक्र और इसरो का लोगो है। विंग्स यह भी दर्शाता है कि अंतरिक्ष यात्री भारतीय वायु सेना से हैं। इसके केंद्र में अशोक चक्र है। 

सूट बनाने में तीन छात्र और दो प्रोफेसर लगे
संस्थान के तीन छात्र और दो प्रोफेसर ने मिलकर अंतरिक्ष यात्रियों का सूट तैयार किया है। इनमें छात्रा लामिया अनीज, समर्पण प्रधान, तुलिया डी शामिल हैं। ये 2022 बैच के छात्र हैं। इसके अलावा डॉक्टर जोनाली बाजपेई और डॉक्टर मोहन कुमार ने छात्रों के साथ मिलकर सूट बनाया है। पूर्व डायरेक्टर सुजैन थॉमस ने इन सभी को गाइड किया। डॉक्टर मोहन ने कहा कि सूट यूनीक होना था, ताकि 140 करोड़ भारतीयों को प्रेरित कर सके। इस बनाने का काम बेहद चुनौती भरा था। 

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गगनयान मिशन के तहत ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन और शुभांशु शुक्ला को चुना गया है। इनमें से तीन अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की कक्षा में यात्रा करेंगे। तीन दिनों के बाद उन्हें वापस पृथ्वी पर लाया जाएगा। पीएम मोदी ने बीते महीने गगनयान से जुड़ी तैयारियों का जायजा लिया था।