सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: LMV लाइसेंस धारकों को मिला नया अधिकार, अब 7500 किलो तक के ट्रांसपोर्ट वाहन चला सकेंगे

Supreme Court on LMV License: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में एलएमवी (लाइट मोटर व्हीकल) लाइसेंस धारकों को 7500 किलोग्राम तक वजन वाले ट्रांसपोर्ट वाहन चलाने का अधिकार दे दिया है। कोर्ट का यह फैसला बीमा दावों में पैदा होने वाले विवादों को सुलझाने में मददगार साबित हो सकता है। एलएमवी लाइसेंस धारकों के ट्रांसपोर्ट वाहन चलाए जाने पर कई बीमा कंपनियां मुआवजा देने से इंकार कर रही थीं, जो अब इस फैसले के बाद बदल सकता है।
बीमा कंपनियों के मुआवजा विवादों का समाधान
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय बीमा कंपनियों और एलएमवी लाइसेंस धारकों के बीच मुआवजे के विवादों को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अक्सर बीमा कंपनियां दुर्घटना के मामलों में यह तर्क देती थीं कि एलएमवी लाइसेंस केवल निजी वाहनों के लिए है और ट्रांसपोर्ट वाहन के लिए विशेष लाइसेंस की जरूरत होती है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बीमा कंपनियों की यह दलील कमजोर हो जाएगी।
आर्थिक सुरक्षा और रोजगार के नए अवसर
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला रोजगार के नए अवसर खोल सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं। इस फैसले से एलएमवी लाइसेंस धारक 7500 किलो तक के ट्रांसपोर्ट वाहन आसानी से चला सकेंगे, जिससे उनके लिए आर्थिक सुरक्षा और रोजगार में भी वृद्धि होगी। कोर्ट का यह कदम उन लोगों की आजीविका के लिए राहत साबित होगा, जिनके पास अतिरिक्त लाइसेंस की कमी के कारण रोजगार के अवसर सीमित थे।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का फैसला
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर फैसला सुनाया। पीठ ने स्पष्ट किया कि एलएमवी लाइसेंस धारक 7500 किलोग्राम तक के ट्रांसपोर्ट वाहन चलाने का हक रखते हैं। यह फैसला मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के प्रावधानों के आधार पर लिया गया, जो एलएमवी और ट्रांसपोर्ट वाहनों के बीच अंतर को स्पष्ट करता है।
दुर्घटनाओं के लिए सिर्फ एलएमवी चालक जिम्मेदार नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि के लिए एलएमवी लाइसेंस धारकों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि दुर्घटनाओं का कारण अन्य कारक भी हैं और सिर्फ एलएमवी चालक ही दोषी नहीं हैं। इस टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने अपनी बात को और मजबूती दी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस फैसले का दुर्घटना दर पर कोई नकारात्मक असर नहीं होगा।
पहले से बने फैसलों को रखा बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने 2017 के मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी मामले में दिए गए फैसले को बरकरार रखा। उस समय भी अदालत ने एलएमवी लाइसेंस धारकों को 7500 किलोग्राम तक के ट्रांसपोर्ट वाहन चलाने का अधिकार दिया था। अब एक बार फिर इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने मजबूत किया है, जिससे बीमा कंपनियों के लिए मुआवजा देने में अब किसी प्रकार का विवाद नहीं रह जाएगा।
मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन का संकेत
इस फैसले के साथ ही सरकार की ओर से मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन किया जा सकता है। अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट में कहा कि इस मुद्दे पर संसद के शीतकालीन सत्र में संशोधन लाया जा सकता है। सरकार भी इस दिशा में बड़े कदम उठाने के लिए तैयार है, ताकि लाइसेंस धारकों और बीमा कंपनियों के बीच विवाद खत्म हो सके।