Rohit Vemula Suicide Case: रोहित वेमुला नहीं था दलित, पोल खुलने की डर से की खुदकुशी, तेलंगाना पुलिस ने हाईकोर्ट को सौंपी रिपोर्ट

Rohit Vemula Suicide Case
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Rohit Vemula Suicide Case: शुक्रवार को हैदराबाद पुलिस ने तेलंगाना हाईकोर्ट में रोहित वेमुला सुसाइड केस की क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी।
Rohit Vemula Suicide Case: शुक्रवार को हैदराबाद पुलिस ने तेलंगाना हाईकोर्ट में रोहित वेमुला सुसाइड केस की क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी। इस रिपोर्ट में पुलिस ने दावा किया है कि रोहित वेमुला दलित यानी की अनुसूचित जाति से था ही नहीं। पोल खुलने की डर से उसने खुदकुशी कर ली थी।

Rohit Vemula Suicide Case: हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (HCU) के स्कॉलर रोहित वेमुला की खुदकुशी के आठ साल बाद इस मामले की जांच पूरी हो गई है। शुक्रवार को हैदराबाद पुलिस ने तेलंगाना हाईकोर्ट में इस मामले की क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी। इस क्लोजर रिपोर्ट में पुलिस ने दावा किया है कि रोहित वेमुला दलित यानी की अनुसूचित जाति से था ही नहीं। रोहित की मां ने उसके अनुसूचित जाति से होने का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया था। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में यह भी दावा किया है कि रोहित को भी इस बात की जानकारी थी कि वह दलित नहीं है। पुलिस ने अब इस मामले की जांच बंद करने का फैसला किया है।

पुलिस ने इन लोगों को दे दी है क्लिन चिट
पुलिस ने हाईकोर्ट से बताया है कि रोहित को डर था कि जांच होने पर सभी को इस बात का पता चल जाएगा कि वह एक दलित नहीं है। उसकी असलीयत सबके सामने आ जाएगी। इसी वजह से राेहित ने आत्महत्या कर ली थी। इसके साथ ही पुलिस ने इस मामले में सिकंदराबाद के सांसद बंडारू दत्तात्रेय, विधान परिषद के सदस्य एन रामचंदर राव, हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वाइस-चांसलर (VC) अप्पा राव, एबीवीपी के नेता और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी को क्लिन चिट दे दिया है।

हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन शुरू
रोहित वेमुला सुसाइड केस में क्लोजर रिपोर्ट फाइल होने के बाद से ही हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। बता दें कि रोहित वेमुला HCU का रिसर्च स्कॉलर था। रोहित वेमुला ने 17 जनवरी 2016 काे सुसाइड कर लिया था। रोहित की खुदकुशी के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए थे। HCU में दलित छात्र के साथ भेदभाव और अत्याचार होने का मुद्दा गर्म हो गया था। बता दें कि जुलाई 2015 से यूनिवर्सिटी ने कथित तौर पर रोहित वेमुला को फेलोशिप देना बंद कर दिया था। इसके कुछ ही महीनों बाद रोहित वेमुला को कुछ एबीवीपी कार्यकर्ताओं के साथ लड़ाई करने की वजह से सस्पेंड कर दिया गया था।

रोहित वेमुला ने अपनी सुसाइड नोट में क्या लिखा था?
रोहित वेमुला ने आत्महत्या करने से पहले एक सुसाइड लेटर लिखा था। इस सुसाइड लेटर में रोहित वेमुला ने अपने जन्म को एक घातक दुर्घटना बताया था। रोहित वेमुला ने लिखा था- मैं इस तरह की चिट्ठी पहली बार लिख रहा हूं। मैं पहली बार कोई अंतिम पत्र लिख रहा हूं। अगर मैं समझा नहीं पाया हूं तो मुझे माफ कर देगा। मेरा जन्म मेरी लिए घातक दुर्घटना है। मैं अपने बचपन के अकेलेपन से कभी उबर नहीं सकता।

मैं अतीत का अप्राप्य बच्चा...यदि आप, जो यह पत्र पढ़ रहे हैं, मेरे लिए कुछ भी कर सकते हैं, तो मुझे मेरी 7 महीने की फेलोशिप के एक लाख पचहत्तर हजार रुपए दिलवा देना। कृपया यह सुनिश्चित करिएगा कि मेरे परिवार को मेरे फेलोशिप की इस राशि का भुगतान कर दिया जाए। मुझे रामजी को कुछ 40 हजार देने हैं। हालांकि, उसने कभी भी मुझसे पैसे वापस नहीं मांगे है, लेकिन जब मेरे पैसे मिल जाएं, तो उसके पैसे लौटा देना।

पुलिस जांच में क्या आया सामने?
पुलिस ने अपनी जांच रिपोर्ट में दावा किया है कि रोहित वेमुला को पता चल गया था कि उसकी मां ने उसका फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनवाया था। रोहित वेमुला ने इसी सर्टिफिकेट के आधार पर सारी पढ़ाई की और अकादमिक उपलब्धियां हासिल कर रहे थे। वह सफल भी हो रहे थे। हालांकि, रोहित को डर सताने लगा था कि उसकी सच्चाई दुनिया के सामने आ सकती है। ऐसा हुआ तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

मामले की जांच बंद होने पर बीजेपी की प्रतिक्रिया
रोहित वेमुला की आत्महत्या मामले की जांच बंद किए जाने के बाद बीजेपी की प्रवक्ता रचना रेड्डी ने कहा कि तेलंगाना गृह विभाग ने एक क्लोजर रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया है कि एससी-एसटी अत्याचार अधिनियम का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। प्रमुख भाजपा नेताओं को पहले जांच में फंसाया गया था। हालांकि, विस्तृत क्लोजर रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आत्महत्या के लिए उकसाने का कोई मामला साबित नहीं हो सका है।

क्या है रोहित वेमुला सुसाइड केस?
17 जनवरी, 2016 को हैदराबाद विश्वविद्यालय में रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ। वेमुला अंबेडकर छात्र संघ का सदस्य था और यूनिवर्सिटी से निष्कासित पांच छात्रों में से एक था। यह निष्कासन 2015 में एक एबीवीपी सदस्य पर हमला करने के आरोप के कारण हुआ था। शुरुआत में यूनिवर्सिटी ने वेमुला सहित सभी पांच छात्रों को इस मामले में मुक्त कर दिया था। हालांकि, बाद में निर्णय पलट दिया गया, जिससे विरोध प्रदर्शन तेज हो गए थे।

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