वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ FIR: Electoral Bonds से उगाही के आरोप, जानें क्या है पूरा विवाद

Nirmala Sitharaman on Bank Interest Rate
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को बैंक ब्याज दरें घटाने की वकालत की। (फाइल)
बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ उगाही के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। जानें क्या है पूरा मामला।

Nirmala Sitharaman FIR: बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ उगाही के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। जनाधिकार संघर्ष परिषद (Janaadhikaara Sangharsha Parishath) नामक एक एनजीओ ने यह मामला दायर किया था। आरोप है कि चुनावी बॉन्ड्स योजना का इस्तेमाल करके उगाही की गई। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस योजना को असंवैधानिक करार दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड्स योजना को अवैध करार दिया
इस साल की शुरुआत में, सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड्स योजना को असंवैधानिक बताया था। अदालत ने कहा कि इस योजना ने सूचना के अधिकार (RTI) और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अनुच्छेद 19(1)(a) का उल्लंघन किया है। इसके बाद भारतीय स्टेट बैंक को चुनावी बॉन्ड्स जारी करने पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया था।

बीजेपी को मिला सबसे ज्यादा चंदा, कई डोनर्स जांच के दायरे में
रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने चुनावी बॉन्ड्स के माध्यम से 6,986.5 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया था। इस योजना के तहत पार्टी के कुछ प्रमुख डोनर्स केंद्रीय जांच एजेंसियों (ED और CBI) की जांच के दायरे में हैं। कई ऐसी कंपनियों ने भी राजनीतिक पार्टियों काे डोनेशन दिया जिनकी प्रॉफिट कम थी। ऐसे में इलेक्टोरल बॉन्ड्स को लेकर सवाल उठने लगे।

कर्नाटक के सीएम ने की इस्तीफे की मांग
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने निर्मला सीतारमण के इस्तीफे की मांग की और कहा कि इस मामले की जांच रिपोर्ट तीन महीने में आनी चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि जब एक केंद्रीय मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है, तो वह भी जिम्मेदारी लें और इस्तीफा दें।

एफआईआर दर्ज तहत जांच शुरू
निर्मला सीतारमण के खिलाफ एफआईआर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17A के तहत दर्ज की गई है। इस अधिनियम के तहत किसी भी सरकारी सेवक की जांच के लिए सक्षम प्राधिकरण से अनुमति लेनी होती है। अदालत ने इस मामले में तीन महीने में रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।

2018 में आई थी चुनावी बॉन्ड्स की योजना
चुनावी बॉन्ड्स योजना 2018 में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए लाई गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इसे लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। कोर्ट ने इस योजना को संविधान के खिलाफ बताया, जिसके बाद सरकार और विपक्ष के बीच खींचतान बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद कई डोनर्स की जानकारी सामने आई। इसके बाद से ही पार्टियां एक दूसरे पर निशाना साध रही हैं।

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