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Rudram-II Missile Test Successful: भारत ने अपने Su-30MKI लड़ाकू विमान से रुद्रम-II एंटी-रेडिएशन मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। रुद्रम-II मिसाइल दुश्मन के रडार और कम्युनिकेशन सेंटर्स स्टेशनों को मिनटों में ध्वस्त कर देगी।यह 100 किलोमीटर से अधिक की दूरी से दुश्मन के सिग्नल पकड़ सकती है।

Rudram-II Missile Test Successful: भारत ने अपने Su-30MKI लड़ाकू विमान से रुद्रम-II एंटी-रेडिएशन मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। यह मिसाइल रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की गई है। रुद्रम-II मिसाइल दुश्मन के रडार और कम्युनिकेशन सेंटर्स स्टेशनों को मिनटों में ध्वस्त कर देगी। यह मिसाइल ऊंचाई से लॉन्च की जा सकती है। यह 100 किलोमीटर से अधिक की दूरी से दुश्मन के सिग्नल पकड़ सकती है और उन्हें टारगेट में ले सकती है। इस मिसाइल को पूरी तरह से भारत में डिजाइन और डेवलप किया गया है। 

टेस्ट में रुद्रम-II मिसाइल ने सभी पैरामीटर्स को पूरा किया
रुद्रम-II मिसाइल का टेस्ट के दौरान सभी पैरामीटर्स को पूरा किया। टेस्ट के दौरान इस मिसाइल ने प्रोपल्सन सिस्टम (propulsion system), कंट्रोल एंड गाइडेंस एल्गोरिदम ( control & guidance algorithm) जैसे मापदंडों की कसौटियों पर खरा उतरा। यह मिसाइल विशेष रूप से दुश्मन के वायु रक्षा मिशनों (SEAD) से निपटने में सक्षम है। यह स्वदेशी मिसाइल सिस्टम पलक झपकते ही  दुश्मन के ग्राउंड रडार और संचार स्टेशनों को निशाना बनाने में सक्षम है। 

रुद्रम-II की क्या है अहमीयत?
रुद्रम-II, रुद्रम-मार्क-1 का नया एडिशन है। इसे भारतीय एयर डिफेंस का बैकबोन कहा जा रहा है। बता दें कि रुद्रम-मार्क-1 का चार साल पहले परीक्षण किया गया था। यह सॉलिड प्रोपेल्ड एयर लॉन्च्ड मिसाइल सिस्टम है। यानी कि ऐसी मिसाइल जिसे हवा से ही दागा जा सकता है। इसका टारगेट दुश्मन की विभिन्न प्रकार के रक्षा ठिकानों को नष्ट करना होता है। भारत मौजूदा समय  में रूसी एंटी-रेडिएशन मिसाइल Kh-31 का संचालन करता है। इनकी जगह पर अब रुद्रम-II का इस्तेमाल किया जाएगा। 

रुद्रम-II मिसाइल के परफॉर्मेंस का किया गया आंकलन
डीआरडीओ क ओर से जारी एक बयान के मुताबिक रुद्रम-II मिसाइल की टेस्टिंग के दौरान इसकी परफॉर्मेंस का आंकलन किया गया। अलग-अलग जगहों पर इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज, चांदीपुर द्वारा तैनात किए गए इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सिस्टम, रडार और टेलीमेट्री स्टेशनों द्वारा इसके फ्लाइट डेटा को कैप्चर किया गया। इसके साथ ही भारतीय नौसेना के जहाजहों पर भी इसकी मारक क्षमता को आंकने के लिए इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सिस्टम, रडार और टेलीमेट्री स्टेशन स्थापित किए गए थे। यह सभी कसौटियों पर खरी उतरी। 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ को दी बधाई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रुद्रम-II के सफल परीक्षण पर डीआरडीओ, भारतीय वायुसेना और इसे विकसित करने में साझेदार की भूमिका निभाने वाली इंडस्ट्री को बधाई दी। उन्होंने कहा कि रुद्रम-II  मिसाइल सिस्टम के सफल परीक्षण से भारत के सशस्त्र बलों की ताकत कई गुना ज्यादा बढ़ जाएगी। उन्होंने बताया कि इस मिसाइल को ओडिशा के तट से लॉन्च किया गया। 

रुद्रम-II की  क्या है खासीयत
यह मिसाइल कई ऊंचाई से लॉन्च की जा सकती है, यानी कि हवा में ही टारगेट के हिसाब से किस ऊंचाई से इसे लॉन्च किया जाना है, यह सेट किया जा सकता है। यह 100 किलोमीटर से अधिक की दूरी से दुश्मन की रेडियो फ्रीक्वेंसी और रडार से सिग्नल पकड़ सकती है। मिसाइल लॉक-ऑन-बिफोर/आफ्टर-लॉन्च सिस्टम में काम कर सकती है। इसकी इंटरनल गाइडेंस प्रणाली की वजह से  लॉन्च के बाद भी इसे किसी टारगेट की ओर से मोड़ा जा सकता है। यानी कि यह हवा में ही अपना रुट बदल कर बताए गए दुश्मन के ठिकानों पर पहुंचने में और उसे पूरी तरह से नष्ट करने में सक्षम है।

क्या है  रुद्रम-I, जिसका लेटेस्ट वर्जन हुआ लॉन्च
रुद्रम-1 पूरी तरह से भारत में डिजाइन और डेवलप की गई मिसाइल सिस्टम है। रुद्रम-1 का परीक्षण 2020 में ओडिशा के पूर्वी तट पर सुखोई से किया गया था। इसमें दो सीकर हैं - एक पैसिव-होमिंग हेड सीकर, जो कई रेडियो फ्रीक्वेंसी टारगेट्स का पता लगा सकता है। इसके साथ ही इसमें एक मिलीमीटर वेव (MMW) सीकर जो है, जो मौसम के हिसाब से इस मिसाइल को ऑपरेट करने में मदद करता है। मार्क-1 एडिशन की रेंज 100-150 किलोमीटर है और यह मैक 2 (ध्वनि की गति से दो गुना) की गति तक पहुँच सकता है। इसकी लॉन्च ऊंचाई रेंज 1 किमी से 15 किमी है।

अब आगे की क्या है योजनाएं.
2022 में, भारतीय वायुसेना ने ₹1,400 करोड़ के सौदे में अगली पीढ़ी की एंटी-रेडिएशन मिसाइल (NGARM) के अधिग्रहण का प्रस्ताव रखा। रिपोर्ट्स के अनुसार, मिसाइल को मिराज 2000 मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट से लॉन्च किया जा सकता है। अडानी डिफेंस ने रुद्रम-I मिसाइल के बड़े पैमाने पर उत्पादन में DRDO के साथ साझेदारी की है। रुद्रम-II के सफल परीक्षण से भारतीय वायुसेना की ताकत में और इजाफ हुआ है। 

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