Form 17C: क्या है वोटिंग रूम का सीक्रेट फॉर्म 17C, क्यों है इसे लेकर विवाद, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर क्या कहा, जानें सबकुछ

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Form 17C: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से फॉर्म 17C पर जानकारी मांगी है।
Form 17C: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में चुनाव आयोग से फॉर्म 17C डेटा का खुलासा करने को कहा है।आइए, जानते हैं क्या है होता है फॉर्म 17C, इसे लेकर क्यों हो रहा है विवाद और सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर क्या है?

Form 17C: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग से फॉर्म 17C डेटा का खुलासा करने को कहा है। कोर्ट ने मतदान केंद्रों के मतों का लेखा-जोखा तुरंत अपलोड करने की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने आयोग से इस बारे में जानकारी मांगी है। ऐसे में इसे लेकर काफी चर्चा हो रही है। आइए, जानते हैं क्या है होता है फॉर्म 17C, इसे लेकर क्यों हो रहा है विवाद और सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर क्या है?

सुप्रीम कोर्ट ने फॉर्म 17C को लेकर क्या कहा‍?
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव आयोग के वकील अमित शर्मा से पूछा कि फॉर्म 17C डेटा का खुलासा न करने में क्या समस्या है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग को यह डेटा सार्वजनिक करना चाहिए। वकील शर्मा ने जवाब दिया कि इसमें कोई कठिनाई नहीं है, लेकिन पूरी प्रक्रिया काे पूरा करने में समय लगता है। इस प्रक्रिया में फॉर्म 17C भरना भी शामिल है, ऐसे में इसे जारी करने में समय लगता है।

फॉर्म 17C क्या है?
फॉर्म 17C, कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 के तहत, मतदान प्रक्रिया के दौरान इस्तेमाल होने वाला एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इसे चुनाव समाप्ति के बाद भरा जाता है और इसमें कुल मतदाताओं और कुल वोटों का लेखा-जोखा होता है। कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 के तहत दो तरह के फॉर्म भरे जाते हैं। इनमें से एक फॉर्म 17A और दूसरा 17C है।

फॉर्म 17A और फॉर्म 17C की क्या है उपयोगिता?
वोटर को वोटिंग की इजाजत देने से पहले फॉर्म 17A पोलिंग अफसर भरते हैं। इसमें वोटर का इलेक्टोरल नंबर दर्ज किया जाता है। वहीं, फॉर्म 17C पोलिंग अफसर वोटिंग खत्म होने के बाद भरते हैं। कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 के नियम 49S के मुताबिक, वोटिंग खत्म होने पर किसी भी मतदान केंद्र का प्रीसाइडिंग अफसर फॉर्म 17सी में उस मतदान केंद्र पर हुई वोटिंग का सारा लेखा-जोखा भरते है। इसके बाद इस फॉर्म को एक लिफाफे में रखकर उसके ऊपर 'रिकॉर्ड हुए वोटों का लेखा' लिखा जाता है।

फॉर्म 17C दो हिस्सों में बंटा होता है:

फाॅर्म 17C के पहले हिस्से में वोटिंग के दिन पड़े वोट का पूरा विवरण रिकॉर्ड होता है। इसमें किसी भी पोलिंग बूथ का नाम, नंबर, वहां इस्तेमाल में लाई गई ईवीएम मशीन का आईडी नंबर, बूथ पर वोटिंग करने के योग्य मतदाताओं की संख्या, कितनी वोटिंग हुई और हर एक ईवीएम मशीन में कितने वोट रिकॉर्ड हुए, इसकी पूरी जानकारी होती है। एक्टिविस्ट इसी से जुड़ी सारी जानकारियां सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं। वहीं दूसरे हिस्से में वोटों की गिनती का नतीजा रिकॉर्ड किया जाता है।

इस फॉर्म काे भरवाने के मुख्य उद्देश्य क्या हैं:

  • मतदाता सूची का सत्यापन: फॉर्म 17C का उपयोग मतदाताओं की सूची को सत्यापित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि सभी वोट सही ढंग से डाले गए हैं।
  • वोटिंग की जानकारी: इसमें चुनाव आयोग को वोटिंग की जानकारी देने के लिए उपयोग किया जाता है, जिसमें कुल वोटों की संख्या और अन्य विवरण शामिल होते हैं।
  • ट्रैकिंग और रिकॉर्डिंग: इस फॉर्म का उपयोग वोटिंग मशीन (EVM) और वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) से संबंधित जानकारी को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है।

फॉर्म 17C को लेकर क्यों हो रहा है विवाद?
फॉर्म 17C को लेकर हाल ही में विवाद तब शुरू हुआ जब कुछ राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने इसके उपयोग और पारदर्शिता पर सवाल उठाए। इस फॉर्म को लेकर कई चिंताएं जाहिर की गई हैं।

फॉर्म 17C को लेकर क्या चिंताएं जाहिर की गई हैं

  • कुछ लोगों का मानना है कि फॉर्म 17C की जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया जाता है, जिससे चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।
  • यह भी आरोप लगाया गया है कि फॉर्म 17C के सही ढंग से सुरक्षित नहीं रखने के कारण चुनाव परिणामों में हेरफेर किया जा सकता है।
  • कुछ संगठनों ने आरोप लगाया है कि फॉर्म 17C के सही ढंग से भरे न जाने के कारण चुनाव नतीजों को लेकर कानूनी चुनौतियां पैदा हो सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है?
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वे फॉर्म 17C से संबंधित सभी विवादों की जांच करें और यह सुनिश्चित करें कि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष हो। कोर्ट ने चुनाव आयोग से इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जिसमें फॉर्म 17C के उपयोग और सुरक्षा उपायों के बारे में जानकारी हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भविष्य में चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए आवश्यक सुधार किए जाने चाहिए।

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