बेल्लारी सेंट्रल जेल: सुधारगृह या आलीशान ठिकाना? वायरल तस्वीरों ने उठाए सवाल

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बेल्लारी सेंट्रल जेल: सुधारगृह या आलीशान ठिकाना? वायरल तस्वीरों ने उठाए सवाल। 

बेल्लारी सेंट्रल जेल से वायरल तस्वीरों और वीडियो ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। पढ़िए कैसे एक सुधारगृह बनता जा रहा है एक आलीशान आश्रय।

Bellary Jail Controversy : कर्नाटक की बेल्लारी सेंट्रल जेल एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार वजह सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरें और वीडियो हैं। इन तस्वीरों में यह जेल व सुधारगृह नहीं, बल्कि "लक्जरी रिसॉर्ट" जैसी लगती है। इन तस्वीरों में कैदियों को मोबाइल फोन इस्तेमाल करते, नॉनवेज खाना-पकाते, मारिजुआना पीते और फोटोशूट करते हुए देखा जा सकता है।

बेल्लारी जेल में हाई-प्रोफाइल कैदी और लग्जरी लाइफ
बेल्लारी सेंट्रल जेल में इस समय कई हाई-प्रोफाइल कैदी बंद हैं। इनमें प्रमुख नाम है फिल्म अभिनेता दर्शन, जो रेणुकास्वामी हत्याकांड के आरोपी हैं। साथ ही, शिवमोगा के हिंदू कार्यकर्ता हर्ष की हत्या के दो आरोपी भी इसी जेल में हैं। इन हाई-प्रोफाइल कैदियों की मौजूदगी और जेल के अंदर का यह "विलासी वातावरण" प्रशासनिक तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।

जेल अधीक्षक की सफाई
जेल अधीक्षक लता ने मामले में सफाई दी है। उन्होंने कहा कि वायरल तस्वीरें हाल की नहीं हैं। उन्होंने बताया कि ये तस्वीरें पुराने कैदियों द्वारा ली गई थीं और अब उन्हें ब्लैकमेल करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। जेल अधीक्षक ने दावा किया कि कैदी इन तस्वीरों के जरिए जेल स्टाफ पर दबाव बनाकर अवैध सुविधाएं प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।

जनता का आक्रोश और जांच की मांग
सोशल मीडिया पर जनता का गुस्सा साफ नजर आ रहा है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि एक ओर आम नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं भी मुश्किल से मिलती हैं। लेकिन जेलों में ऐसे हालात क्यों हैं? क्या जेल अब सज़ा की जगह सुविधा का केंद्र बन गए हैं?

क्या कहती है राज्य सरकार?
इस मुद्दे पर अभी तक कर्नाटक सरकार की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि अगर जांच निष्पक्ष तरीके से हो, तो कई बड़े चेहरे भी इस मामले में घिर सकते हैं।

समानता के सिद्धांत पर सवाल
बेल्लारी जेल का यह विवाद न सिर्फ जेल प्रणाली बल्कि संविधान में उल्लेखित समानता के सिद्धांत पर भी गंभीर सवाल खड़ा करता है। देखना यह है कि क्या सरकार इस मामले को गंभीरता से लेकर उचित कार्रवाई करती है या फिर अन्य विवादों की तरह इसे भी भुला दिया जाएगा।

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