कारगिल युद्ध: जब भारत ने पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब देकर रचा था विजय का इतिहास

कारगिल युद्ध: भारत ने पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब देकर रचा था इतिहास
kargil War 1999 History: कारगिल की वादियां 1999 की सर्दियों में कुछ अलग थीं, लेकिन बर्फ के नीचे पाकिस्तानी सैनिकों की खतरनाक साजिश दबे पांव भारत की सरजमी पर कदम रख रही थी। हथियारों से लैस घुसपैठिए कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा जमा चुके थे और भारत को भनक तक नहीं लगने दी। अचानक एक दिन चरवाहा ताशी नामग्याल अपनी भेड़ तलाशने के लिए पहाड़ी पर पहुंचा, लेकिन वहां अत्याधुनिक हथियारों से लैस लोगों को देख उसकी रूह कांप गई।
कैप्टन सौरभ कालिया की शहादत
ताशी नामग्याल ने तुरंत भागते हुए कारगिल सेक्टर के वंजू मुख्यालय पहुंचा और सेना के अफसरों को जानकारी दी। जिसके बाद 5 मई 1999 को कैप्टन सौरभ कालिया पांच साथियों को लेकर सच्चाई पता करने गए, लेकिन वापस नहीं लौट सके। आतंकवादियों ने उनके साथ जो अमानवीय व्यवहार किया उससे पूरा देश दहल उठा। स्पष्ट हो गया कि यह सिर्फ घुसपैठ नहीं, बल्कि युद्ध ही है।
ऑपरेशन विजय की शुरुआत
ऑपरेशन विजय और ऑपरेशन सफेद सागर की शुरुआत 26 मई 1999 को हुई। भारतीय वायुसेना ने हवाई हमले शुरू किए, जबकि जमीनी सेना ने दुर्गम चोटियों की ओर कूच किया। भारत ने कदम-कदम पर दुश्मन को पछाड़ा।
तोलोलिंग से टाइगर हिल तक
फिर 13 जून को तोलोलिंग प्वाइंट 4590, टाइगर हिल, प्वाइंट 4875 और अंततः 26 जुलाई को कारगिल युद्ध की समाप्ति हुई। 527 भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद भारत ने फिर से हर चोटी पर अपना तिरंगा लहराया।
कारगिल विजय दिवस: वीरता की अमिट गाथा
हर साल 26 जुलाई को देश कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाता है। यह केवल जीत की कहानी नहीं, बल्कि भारतीय जवानों के अदम्य साहस, त्याग और राष्ट्रप्रेम का प्रतीक है।
