कैश लूट मामला: जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ निष्कासन की सिफारिश, पैनल ने कहा- वर्मा को हटाने के लिए पर्याप्त सबूत

Justice Yashwant Varma Case: स्टोर रूम में नोटों की बरामदगी पर जांच समिति की रिपोर्ट आई सामने
Justice yashwant varma cash Case: दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट सामने आई है। 22 मार्च को उनके सरकारी आवास से अधजली नकदी मिलने के बाद यह मामला सुर्खियों में आया था। अब जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की सिफारिश की है।
स्टोर रूम में किसी को जाने की नहीं थी इजाजत
सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की समिति की 64 पन्नों की रिपोर्ट में बताया गया कि, जिस 30 तुगलक क्रिसेंट स्थित सरकारी आवास में यह स्टोर रूम था, वह जस्टिस वर्मा के आधिकारिक कब्जे में था। स्टोर रूम तक सिर्फ जस्टिस वर्मा और उनके परिवार की पहुंच थी। बिना अनुमति किसी और को वहां जाने की इजाजत नहीं थी।
महाभियोग के लिए पर्याप्त सबूत
रिपोर्ट में कहा गया कि इन तथ्यों के आधार पर महाभियोग की कार्यवाही के लिए पर्याप्त आधार हैं। बता दें कि मार्च 2025 में इस स्टोर रूम में आग लगने के बाद बड़ी मात्रा में जली हुई नकदी बरामद हुई थी। इसके बाद जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था, लेकिन उन्हें कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया।
जांच में 55 गवाहों से पूछताछ
इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में तीन सदस्यीय समिति गठित की थी, जिसमें जस्टिस शील नागू (मुख्य न्यायाधीश, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट), जस्टिस जीएस संधावालिया (मुख्य न्यायाधीश, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट) और जस्टिस अनु शिवरामन (कर्नाटक हाईकोर्ट) शामिल थे। पैनल ने 4 मई 2025 को CJI को रिपोर्ट सौंपी थी, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया।
जस्टिस वर्मा का आरोपों को नकारा
जस्टिस वर्मा ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि स्टोर रूम में मिले पैसों से उनका या उनके परिवार का कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने इस्तीफा देने से भी इंनकार किया है। दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को दिए जवाब में उन्होंने दावा किया कि यह उन्हें बदनाम करने की साजिश है।
