कैश कांड: जस्टिस यशवंत को हटाने के 'महाभियोग' पर कई सांसदों के हस्ताक्षर, लोकसभा में आएगा प्रस्ताव

Justice yashwant verma  cash case
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Justice yashwant verma cash case

Justice yashwant verma cash case: जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। केंद्र सरकार ने जस्टिस यशवंत को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू कर दी है। जस्टिस वर्मा को हटाने के महाभियोग पर कई सांसदों ने हस्ताक्षर भी कर दिए हैं।

Justice yashwant verma cash case: जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। केंद्र सरकार ने जस्टिस यशवंत को हटाने के लिए संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू कर दी है। लोकसभा सांसदों के हस्ताक्षर लेना शुरू कर दिया है। कई सांसदों ने दस्तखत भी कर दिए हैं। खबर है कि 21 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव लाया जाएगा।

100 सांसदों के साइन जरूरी
लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 100 सांसदों के हस्ताक्षर होना चाहिए। यदि यही प्रस्ताव राज्यसभा में पेश किया जाए तो उसके लिए 50 सांसदों के हस्ताक्षर आवश्यक हैं। हाल ही में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने यह संकेत दिया था कि यह प्रस्ताव संसद के आगामी मानसून सत्र में लाया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मामला भ्रष्टाचार से संबंधित है और इसमें राजनीतिक दृष्टिकोण की कोई भूमिका नहीं है। सरकार इस प्रस्ताव पर सहमति बनाने के लिए विपक्षी दलों से भी संवाद कर रही है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज हैं वर्मा
जस्टिस वर्मा का दिल्ली हाईकोर्ट से ट्रांसफर कर दिया है। फिलहाल इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज हैं। वर्मा को किसी भी तरह का न्यायिक कार्य सौंपने पर रोक है। जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास के स्टोर रूम में 14 मार्च की रात आग लग गई थी। पुलिस और फायरब्रिगेड की टीम ने आग बुझाई थी। तभी घर में भारी मात्रा में कैश मिला था। स्टोर रूम में 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले थे।

'हटाने की कार्यवाही शुरू होनी चाहिए'
सुप्रीम कोर्ट ने की ओर से नियुक्त समिति ने मामले की जांच की। SC के पैनल की रिपोर्ट 19 जून को सामने आई थी। 64 पेज की रिपोर्ट में कहा था कि यशवंत वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों का स्टोर रूम पर सीक्रेट या एक्टिव कंट्रोल था। रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों को ध्यान में रखते हुए पैनल इस बात पर सहमत है कि CJI के 22 मार्च के लेटर में लगाए गए आरोपों में पर्याप्त तथ्य हैं। आरोप इतने गंभीर हैं कि जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए कार्यवाही शुरू करनी चाहिए। जांच में पाया कि नकदी गलत तरीके से जमा की गई थी। इसके बाद जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेज दिया था।

कौन हैं यशवंत वर्मा
6 जनवरी 1969 को जस्टिस यशवंत वर्मा का जन्म हुआ। यशवंत ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से बीकॉम (ऑनर्स) किया। 1992 में रीवा यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई पूरी की। 8 अगस्त 1992 को यशवंत ने बतौर वकील पंजीकरण कराया। इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत शुरू कर दी। 2006 से हाई कोर्ट के विशेष वकील रहे। 2012 में उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता बने।

2014 में बने एडिशनल जज
अगस्त 2013 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में सीनियर वकील बने। 13 अक्टूबर 2014 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में एडिशनल जज बने। 1 फरवरी 2016 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में परमानेंट जज बने। 11 अक्टूबर 2021 को दिल्ली हाई कोर्ट में जज बने। अब दिल्ली हाईकोर्ट से उनका ट्रांसफर वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया है।

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