एक्सिओम-4 मिशन: स्पेसएक्स के LOX रिसाव से Axiom-4 मिशन स्थगित, भारत के गगनयात्री शुभांशु शुक्ला की उड़ान टली

Axiom 4 Mission : भारत का बहुप्रतीक्षित अंतरिक्ष मिशन, Axiom-4 (X-4) तकनीकी कारणों से स्थगित कर दिया गया है। इसमें ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) भेजा जाना था। 11 जून को फ्लोरिडा से फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए इसे लॉन्च किया जाना था, लेकिन स्पेसएक्स ने ऐन वक्त पर Axiom-4 (X-4) मिशन के लॉन्च को टाल दिया।
क्यों स्थगित हुआ मिशन?
स्पेसएक्स ने बताया कि फाल्कन 9 रॉकेट के पोस्ट-स्टैटिक फायर निरीक्षण के दौरान तरल ऑक्सीजन (LOX) के रिसाव की पहचान हुई। इस रिसाव की मरम्मत के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता के चलते लॉन्च को अस्थायी रूप से रोका गया है। स्पेसएक्स ने कहा, जैसे ही मरम्मत और सत्यापन प्रक्रिया पूरी होगी और लॉन्च रेंज उपलब्ध होगी, नई तिथि घोषित की जाएगी।
SRO ने बताया भारत का गौरव
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बताया कि Axiom-4 मिशन, जो 11 जून को लॉन्च होने वाला था, LOX रिसाव के कारण स्थगित कर दिया गया है। विशेषज्ञों द्वारा रिसाव की मरम्मत और आवश्यक परीक्षणों के बाद ही लॉन्च को हरी झंडी मिलेगी।
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री
Axiom-4 मिशन भारत के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इस मिशन के जरिए 1984 के बाद पहले भारतीय गगनयात्री के रूप में अंतरिक्ष की यात्रा करेंगे। उनसे पहले राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के साथ मिशन में भाग लिया था।
शुभांशु बोले- मिशन पूरे भारत के लिए महत्वपूर्ण
ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने एक बयान में कहा कि मैं इस मिशन पर जिस टीम के साथ जा रहा हूँ, वह शानदार है। यह मिशन मेरे लिए नहीं, पूरे भारत के लिए महत्वपूर्ण है। अगर मेरी कहानी किसी बच्चे को प्रेरित कर सके, तो यही मेरी सबसे बड़ी सफलता होगी।
हंगरी और पोलैंड के लिए भी खास है Axiom-4 मिशन
Axiom-4 मिशन न केवल भारत, बल्कि पोलैंड और हंगरी के लिए भी खास है। क्योंकि, इस मिशन के अन्य सदस्यों में पोलैंड के स्लावोस उज़्नान्स्की (1978 के बाद पहले पोलिश अंतरिक्ष यात्री), हंगरी के टिबोर कापू (1980 के बाद पहले हंगेरियन अंतरिक्ष यात्री) भी जा रहे हैं। यह मिशन 40 वर्षों के बाद इन देशों के लिए दूसरा मानव अंतरिक्ष अभियान है।
विज्ञान और अनुसंधान का केंद्र
Axiom-4 मिशन में 31 देशों के 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग शामिल होंगे। इनमें माइक्रोग्रैविटी अनुसंधान, जीवन विज्ञान, पृथ्वी अवलोकन और जैविक व भौतिक विज्ञान से जुड़े अध्ययन शामिल हैं। भारत समेत अमेरिका, सऊदी अरब, नाइजीरिया, ब्राजील, UAE और यूरोपीय देशों की साझेदारी इस मिशन को वैश्विक महत्व देती है।