ISRO का ऐतिहासिक मिशन: 6100 किलो का अमेरिकी सैटेलाइट किया लॉन्च, धरती पर कहीं से भी होगी वीडियो कॉलिंग

ISRO का LVM3-M6 रॉकेट, ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट के साथ सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC) SHAR, श्रीहरिकोटा से लॉन्च हुआ।
ISRO Satellite Launch: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष इतिहास में एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज करते हुए अमेरिका के अत्याधुनिक कम्युनिकेशन सैटेलाइट ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। यह मिशन इसरो के सबसे ताकतवर रॉकेट LVM3-M6 के जरिए अंजाम दिया गया, जो एक कॉमर्शियल समझौते के तहत किया गया लॉन्च है।
श्रीहरिकोटा से सुबह 8:55 बजे भरी उड़ान
यह ऐतिहासिक लॉन्च आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से बुधवार सुबह 8:55 बजे किया गया। 24 घंटे की काउंटडाउन प्रक्रिया पूरी होने के बाद 43.5 मीटर ऊंचे LVM3 रॉकेट ने उड़ान भरी। लॉन्च के समय रॉकेट में दो शक्तिशाली S200 सॉलिड बूस्टर लगे थे, जिन्होंने इसे शुरुआती थ्रस्ट प्रदान किया।
पीएम मोदी ने जताई खुशी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने LVM3-M6 रॉकेट से ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट के सफल लॉन्च पर खुशी जताई। उन्होंने एक्स पर लिखा, ''यह भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि यह लॉन्च भारतीय मिट्टी से अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित करने वाला मिशन है और यह भारत की हैवी-लिफ्ट लॉन्च क्षमता को मजबूत करता है।''
A significant stride in India’s space sector…
— Narendra Modi (@narendramodi) December 24, 2025
The successful LVM3-M6 launch, placing the heaviest satellite ever launched from Indian soil, the spacecraft of USA, BlueBird Block-2, into its intended orbit, marks a proud milestone in India’s space journey.
It strengthens… pic.twitter.com/AH6aJAyOhi
पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में कहा कि यह उपलब्धि भारत के वैश्विक कॉमर्शियल लॉन्च मार्केट में बढ़ते रोल को भी दर्शाती है। उन्होंने अपने संदेश में ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के अथक प्रयासों को भी सराहा। प्रधानमंत्री ने लिखा कि भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में लगातार ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है और इस सफलता से देश की स्पेस यात्रा और मजबूत होगी।
15 मिनट में सैटेलाइट पहुंचा लो अर्थ ऑर्बिट
इसरो के अनुसार, लॉन्च के लगभग 15 मिनट बाद यह सैटेलाइट रॉकेट से अलग होकर करीब 520 किलोमीटर ऊंचाई पर लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में स्थापित किया जाएगा। यह मिशन इसरो की कॉमर्शियल इकाई न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) और अमेरिकी कंपनी AST स्पेसमोबाइल के बीच हुए समझौते का हिस्सा है।
भारत से लॉन्च हुआ अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट
6,100 किलोग्राम वजन वाला ब्लूबर्ड ब्लॉक-2, LVM3 रॉकेट के जरिए लो अर्थ ऑर्बिट में भेजा गया अब तक का सबसे भारी पेलोड है। इससे पहले यह रिकॉर्ड LVM3-M5 मिशन के नाम था, जिसमें करीब 4,400 किलोग्राम का कम्युनिकेशन सैटेलाइट नवंबर 2024 में लॉन्च किया गया था।
'बाहुबली रॉकेट' LVM3 की ताकत
अपने भारी-भरकम पेलोड उठाने की क्षमता के चलते LVM3 को आमतौर पर ‘बाहुबली रॉकेट’ कहा जाता है। यह तीन चरणों वाला रॉकेट है, जिसमें क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया गया है। LVM3 पहले भी चंद्रयान-2, चंद्रयान-3 और OneWeb के दो मिशनों को सफलतापूर्वक लॉन्च कर चुका है, जिनमें कुल 72 सैटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित किए गए थे।
धरती पर कहीं से भी हो सकेगी वीडियो कॉल
ब्लूबर्ड ब्लॉक-2, वैश्विक LEO सैटेलाइट कॉन्स्टेलेशन का हिस्सा है। इसका मुख्य उद्देश्य मोबाइल फोन को सीधे सैटेलाइट से जोड़ना है। इस नेटवर्क के जरिए भविष्य में दुनिया के किसी भी कोने से 4G और 5G वॉयस कॉल, वीडियो कॉल, मैसेजिंग, स्ट्रीमिंग और डेटा सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी, वो भी बिना किसी टावर के।
मोबाइल नेटवर्क बदलने की जरूरत नहीं
AST स्पेसमोबाइल का कहना है कि इस सेवा का लाभ उठाने के लिए यूजर्स को अपना मोबाइल नेटवर्क बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कंपनी दुनियाभर के मोबाइल ऑपरेटर्स के साथ साझेदारी कर रही है, ताकि मौजूदा नेटवर्क के जरिए ही सैटेलाइट कनेक्टिविटी मिल सके।
AST स्पेसमोबाइल का वैश्विक कनेक्टिविटी लक्ष्य
AST स्पेसमोबाइल के CEO एबेल एवेलन पहले ही 2024 में ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट्स के लॉन्च की घोषणा कर चुके थे। कंपनी सितंबर 2024 में ब्लूबर्ड-1 से 5 सैटेलाइट लॉन्च कर चुकी है। AST स्पेसमोबाइल का दावा है कि उसने 50 से ज्यादा मोबाइल ऑपरेटर्स के साथ साझेदारी की है और आने वाले समय में ऐसे कई और सैटेलाइट लॉन्च किए जाएंगे।
शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे सेक्टर को मिलेगा फायदा
कंपनी का कहना है कि इस तकनीक के जरिए उन इलाकों में भी कनेक्टिविटी पहुंचेगी, जहां पारंपरिक मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध नहीं है। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, सोशल नेटवर्किंग और आपातकालीन सेवाओं में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
