भारतीय सेना की नई सोशल मीडिया पॉलिसी: जवानों को मिली सीमित अनुमति, जानिए क्या बदला और क्या रहेगा प्रतिबंधित

इसके लिए सेना की सभी यूनिटों और विभागों को आदेश जारी कर दिया गया है।
नई दिल्ली : डिजिटल दौर में बढ़ते साइबर खतरों को देखते हुए भारतीय सेना ने अपने जवानों, अधिकारियों और कर्मियों के लिए सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स के उपयोग से जुड़ी नई गाइडलाइंस जारी की हैं।
इस नीति का मुख्य फोकस सूचना सुरक्षा (Information Security) और ऑपरेशनल सिक्योरिटी (Operational Security-OPSEC) पर है, ताकि आधुनिक संचार साधनों का उपयोग करते हुए भी किसी तरह की संवेदनशील जानकारी लीक न हो।
क्यों जरूरी थी नई सोशल मीडिया गाइडलाइन?
वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों के अनुसार, हाल के वर्षों में साइबर जासूसी, हनीट्रैप, सोशल इंजीनियरिंग और डेटा चोरी के मामलों में तेजी आई है। कई घटनाओं में विदेशी खुफिया एजेंसियों द्वारा सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स के जरिए सैनिकों से संपर्क कर संवेदनशील जानकारियां हासिल करने की कोशिश की गई।
इन्हीं खतरों को ध्यान में रखते हुए यह नीति लागू की गई है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर क्या है अनुमति?
नई नीति के तहत Instagram, YouTube, X (पूर्व में Twitter) और Quora जैसे प्लेटफॉर्म्स पर केवल निष्क्रिय (Passive) उपयोग की अनुमति दी गई है।
क्या कर सकते हैं
कंटेंट देखना
खबरें और जानकारी पढ़ना
शैक्षणिक या सामान्य ज्ञान हासिल करना
क्या पूरी तरह प्रतिबंधित है
पोस्ट या वीडियो अपलोड करना
लाइक, कमेंट, शेयर या फॉरवर्ड करना
अपनी राय या विचार सार्वजनिक रूप से व्यक्त करना
किसी भी प्रकार का यूज़र-जनरेटेड कंटेंट अपलोड करना
इसका उद्देश्य सैनिकों को अपडेट रखना है, बिना सुरक्षा जोखिम पैदा किए।
मैसेजिंग ऐप्स के लिए सख्त लेकिन सीमित छूट
भारतीय सेना ने WhatsApp, Telegram, Signal और Skype जैसे मैसेजिंग ऐप्स के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन इनके इस्तेमाल को लेकर सख्त शर्तें तय की गई हैं। इन ऐप्स पर केवल सामान्य प्रकृति की और पूरी तरह गैर-गोपनीय (Unclassified) जानकारी ही साझा की जा सकेगी।
बातचीत सिर्फ उन्हीं लोगों से करने की अनुमति होगी, जिन्हें उपयोगकर्ता व्यक्तिगत रूप से जानता हो। किसी भी संदेश को भेजने से पहले प्राप्तकर्ता की पहचान सत्यापित करना पूरी तरह उपयोगकर्ता की जिम्मेदारी मानी गई है। साथ ही, अनावश्यक, लंबे या बार-बार चैट करने से बचने की स्पष्ट सलाह दी गई है, ताकि अनजाने में भी किसी तरह का सुरक्षा जोखिम न पैदा हो।
LinkedIn के उपयोग पर विशेष नियंत्रण
LinkedIn को लेकर सेना ने और अधिक सतर्क और नियंत्रित नीति अपनाई है। इस प्लेटफॉर्म का उपयोग केवल रिज्यूमे अपलोड करने और संभावित नियोक्ताओं या संगठनों से संबंधित सामान्य जानकारी प्राप्त करने तक सीमित रखा गया है।
अनावश्यक नेटवर्किंग, पोस्ट डालना या बिना जरूरत के कनेक्शन रिक्वेस्ट भेजना प्रतिबंधित या सख्ती से नियंत्रित रहेगा, ताकि किसी भी तरह की प्रोफाइलिंग या इंटेलिजेंस गैदरिंग की संभावना को रोका जा सके।
हनीट्रैप और ISI से जुड़े पुराने मामलों की पृष्ठभूमि
रक्षा सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2020 से पहले सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स के जरिए सैनिकों को हनीट्रैप में फंसाने के कई मामले सामने आए थे।
इन घटनाओं में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI द्वारा सैन्य ठिकानों, लोकेशन, हथियारों और ऑपरेशनल मूवमेंट से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां हासिल करने की कोशिश की गई थी।
इन्हीं अनुभवों के चलते 2024 में आधिकारिक कामकाज के लिए WhatsApp के उपयोग पर पहले सलाह जारी की गई और बाद में उस पर प्रतिबंध लगाया गया।
रक्षा विशेषज्ञों की राय
साइबर सुरक्षा और रक्षा मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि सेना की यह नई नीति अनजाने में भी संवेदनशील जानकारी के लीक होने की आशंका को काफी हद तक कम करेगी।
इससे सैनिकों में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के प्रति सतर्कता बढ़ेगी और वे ऑनलाइन गतिविधियों के संभावित खतरों को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे।
कुल मिलाकर, ये दिशा-निर्देश भारतीय सेना की साइबर सुरक्षा क्षमता को मजबूत करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को और अधिक सुरक्षित बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
