रूसी तेल पर नए अमेरिकी बैन: भारत ने बदला गेमप्लान, मिडिल ईस्ट से बढ़ाएगा कच्चे तेल की खरीद

भारत ने बदला गेमप्लान, मिडिल ईस्ट से बढ़ाएगा कच्चे तेल की खरीद
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रूस की प्रमुख तेल कंपनियों Rosneft और Lukoil पर 21 नवंबर से लागू होने वाले कड़े अमेरिकी प्रतिबंधों से पहले भारत अपने कच्चे तेल की आपूर्ति सुरक्षित करने में जुट गया है।

(एपी सिंह) रूस की प्रमुख तेल कंपनियों Rosneft और Lukoil पर 21 नवंबर से लागू होने वाले कड़े अमेरिकी प्रतिबंधों से पहले भारत अपने कच्चे तेल की आपूर्ति सुरक्षित करने में जुट गया है। प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से रूस से आने वाली सप्लाई में कमी आई है, इसलिए भारतीय रिफाइनरियां अब बड़ी संख्या में मिडिल ईस्ट से तेल लाने के लिए जहाज बुक कर रही हैं। पिछले हफ्ते तक जहां सिर्फ चार टैंकर बुक किए गए थे, वहीं इस हफ्ते लगभग एक दर्जन जहाज़ चार्टर किए गए हैं, जो सऊदी अरब, कुवैत, इराक और यूएई से भारत के लिए कच्चा तेल लाएंगे।

बुकिंग्स नवंबर के अंत से दिसंबर तक के लिए

शिपब्रोकर रिपोर्ट्स के अनुसार, ये बुकिंग्स नवंबर के अंत से दिसंबर तक के लिए की जा रही हैं। इनमें बड़े आकार के Very Large Crude Carriers (VLCC) और Suezmax टैंकर शामिल हैं। भारतीय रिफाइनरियां इन्हीं मार्गों के लिए और जहाज़ तलाश रही हैं, जिससे संकेत मिलता है कि आने वाले समय में मिडिल ईस्ट से आयात में तेज़ी आने वाली है। हालांकि, ये बुकिंग्स पूरी तस्वीर नहीं दिखातीं, क्योंकि कई सौदे निजी स्तर पर होते हैं, लेकिन जितनी जानकारी सामने आई है, वह बाज़ार के बदलते रुझानों को स्पष्ट करती है।

रूस पर बैन के चलते खोजने पर वैकल्पिक विकल्प

रूस पर प्रतिबंधों के चलते भारत को वैकल्पिक स्रोत खोजने पड़ रहे हैं। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है और पिछले दो सालों में उसने रूस से भारी मात्रा में कच्चा तेल खरीदा था। लेकिन अब 5 में से 7 प्रमुख भारतीय रिफाइनर-जिनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड भी शामिल है-ने संकेत दिया है कि वे प्रतिबंध लागू होने के बाद रूसी तेल लेना बंद कर देंगे। बाकी कंपनियां केवल ऐसे रूसी विक्रेताओं से लेने पर विचार कर सकती हैं, जो प्रतिबंधित सूची में नहीं हैं। इससे भारत को प्रतिदिन लगभग 10 लाख बैरल रूसी तेल की कमी हो सकती है, जिसे पूरा करना बड़ी चुनौती है।

मिडिल ईस्ट की रुख करने से बढ़े फ्रेट रेट

मिडिल ईस्ट की ओर रुख करने से फ्रेट रेट भी बढ़ गए हैं। मध्य पूर्व से एशिया तक सुपरटैंकर किराए पर लेने की दैनिक लागत 5 साल के उच्च स्तर के करीब पहुंच गई है। यह बढ़त इस बात का संकेत है कि एशियाई खरीदार अचानक अधिक जहाज़ मांग रहे हैं, जिससे वैश्विक शिपिंग बाजार पर दबाव बढ़ गया है। तेल व्यापारियों ने बताया कि भारत ने हाल के महीनों में स्पॉट मार्केट से नॉन-रशियन कच्चे तेल की खरीद थोड़ा बढ़ाई है, लेकिन यह वृद्धि अभी भी संभावित रूसी घाटे की भरपाई के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके लिए भारत टर्म कॉन्ट्रैक्ट वाले मध्य पूर्वी सप्लायरों से चुपचाप अतिरिक्त मात्रा की मांग कर सकता है।

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