Digital Census: 2027 की जनगणना होगी फुल डिजिटल, एन्युमरेटर स्मार्टफोन्स से इक्ट्टा करेंगे डेटा; जानिए क्या होगा खास

Digital Census 2027
Digital Census 2027: भारत में अगले साल की शुरू होने वाली जनगणना पूरी तरह से डिजिटल होगी। लगभग 34 लाख एन्युमरेटर (जनगणना में लगे कर्मचारी) पहली बार खुदके स्मार्टफोन्स और मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए डेटा जुटाएंगे। और उसे सीधे केंद्रीय सर्वर में अपलोड करेंगे। यह ऐप अंग्रेजी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध होगा। यह प्रक्रिया न केवल जनगणना को तेज और सटीक बनाएगी, बल्कि इसके जरिए डेटा संग्रहण में पारदर्शिता और समय की बचत भी होगी।
2021 की जनगणना के लिए बनाया था मोबाइल ऐप
The Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक, रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) द्वारा तैनात एन्युमरेटर और सुपरवाइजर डेटा इकट्ठा करने और उसे मोबाइल एप्लीकेशन के ज़रिए सेंट्रल सर्वर पर ट्रांसफर करने के लिए अपने खास डिवाइस का इस्तेमाल करेंगे, जो एंड्रॉयड और iOS दोनों ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए अंग्रेजी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध होंगे।
ये एप्लिकेशन्स पहले 2021 की जनगणना के लिए तैयार की गई थीं, लेकिन अब इन्हें मोबाइल फोन और ऑपरेटिंग सिस्टम्स में आए तकनीकी सुधार के अनुरूप फिर से विकसित किया जा रहा है। यदि किसी कारणवश एन्युमरेटर कागज पर डेटा एकत्र करते हैं, तो उन्हें इसे एक वेब पोर्टल पर डालना होगा ताकि बाद में स्कैनिंग या डेटा एंट्री की जरूरत न पड़े। इसका मतलब है कि जनगणना डेटा पहली बार एन्युमरेटर द्वारा ही डिजिटल रूप में एकत्र किया जाएगा, जिससे जानकारी जल्दी और सही तरीके से प्राप्त होगी।
दो फेज में होगी जनगणना-2027
1. हाउसलिस्टिंग ऑपरेशन (April - September 2026)
इसमें घरों की स्थितियों, सुविधाओं और संपत्तियों की जानकारी ली जाएगी। एन्युमरेटर विभिन्न स्थानों पर जाकर परिवारों की जानकारी जुटाएंगे।
2. जनसंख्या गणना (February 2027)
जनसंख्या गणना के दौरान, देशभर में प्रत्येक व्यक्ति की जानकारी ली जाएगी, लेकिन Ladakh, Jammu & Kashmir, Himachal Pradesh, और Uttarakhand में यह सितंबर 2026 में की जाएगी।
स्वयं गणना और जाति गणना
इस बार जनगणना में जाति गणना भी की जाएगी, और लोगों को स्वयं गणना का विकल्प भी मिलेगा। यानी लोग अपनी जानकारी खुद भर सकेंगे, जिससे यह प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी और सटीक होगी।
Geo-tagging: सभी भवनों की डिजिटल पहचान
इस जनगणना में एक और बड़ा बदलाव होगा - geo-tagging। यानी, हर भवन को एक अद्वितीय latitude-longitude कोड सौंपा जाएगा, जिससे उसकी सटीक लोकेशन आसानी से पहचान ली जाएगी। यह Geo-tagging प्रक्रिया Digital Layout Mapping (DLM) के जरिए की जाएगी।
रियल-टाइम मॉनिटरिंग और बजट
रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) एक वेबसाइट भी विकसित कर रहा है, जो पूरे जनगणना अभियान की रियल-टाइम मॉनिटरिंग करेगा। इसके लिए सरकार ने 14,618.95 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया है, जो इस बड़े पैमाने पर हो रहे तकनीकी बदलावों और बेहतर प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है।
