Ethiopia Volcano Ash: इथियोपिया ज्वालामुखी की राख ने दिल्ली को ढका! उड़ानें ठप, दिन में भी दिखा अंधेरा

इथियोपिया में ज्वालामुखी विस्फोट हुआ है और इसकी राख दिल्ली तक पहुंच गई है.
इथियोपिया के हायली गुब्बी ज्वालामुखी के भीषण विस्फोट के बाद उठी राख का विशाल गुबार अब भारत तक पहुंच गया है। 25,000 से 45,000 फीट की ऊंचाई पर तैर रहा यह राख का बादल पश्चिमी भारत में एंट्री कर चुका है और तेजी से राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों की ओर बढ़ रहा है। इस असर का सबसे बड़ा प्रभाव दिल्ली-एनसीआर में देखा गया, जहां कई इलाकों में AQI 400 के पार पहुंच गया और जहरीला स्मॉग छाने लगा है।
राजधानी दिल्ली के आनंद विहार, सफदरजंग और AIIMS के आसपास दृश्यता कम हो गई है, जिससे सड़क और हवा दोनों तरह के ट्रैफिक पर असर पड़ा है। ज्वालामुखी की राख के कारण अकासा एयर, इंडिगो और कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के रूट बदल दिए गए हैं, जबकि कुछ उड़ानें सुरक्षा कारणों से रद्द भी करनी पड़ीं।
DGCA ने एयरलाइंस को एडवाइजरी जारी करते हुए साफ कहा है कि एयरक्राफ्ट को राख वाले क्षेत्रों से दूर रखा जाए, रूट बदला जाए और इंजनों की सुरक्षा जांच बढ़ाई जाए। वैज्ञानिकों का मानना है कि सतह पर हवा की गुणवत्ता में बहुत बड़ा बदलाव नहीं होगा, लेकिन ऊंचाई पर उड़ानों के लिए खतरा अभी भी बना रहेगा।
एयर इंडिया ने इस स्थिति को देखते हुए ट्रैवल एडवाइजरी जारी की है। एयरलाइन का कहना है कि वह हालात पर लगातार नजर रख रही है और ऑपरेटिंग क्रू को हर अपडेट तुरंत दिया जा रहा है। हालांकि फिलहाल उड़ानों पर कोई बड़ा असर नहीं है, लेकिन सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए सभी एहतियाती कदम तैयार हैं।
इंडिगो ने भी बयान जारी कर कहा कि यात्रियों की सुरक्षा उसकी पहली प्राथमिकता है। एयरलाइन की टीमें अंतरराष्ट्रीय एविएशन एजेंसियों के साथ कोऑर्डिनेशन में हैं और राख के बादल की हर मूवमेंट पर कड़ी नजर रखी जा रही है। जरूरत पड़ने पर तत्काल रूट परिवर्तन और अन्य सुरक्षा उपाय अपनाए जाएंगे।
🇪🇹🌋 Hayli Gubbi volcano erupts for the first time in 10,000 years
— Sputnik Africa (@sputnik_africa) November 24, 2025
The eruption sent a massive ash plume rising 10-15 kilometers into the sky.
📍 Northeastern Ethiopia pic.twitter.com/gHaDkA6XKz
गौर करने वाली बात यह है कि हायली गुब्बी ज्वालामुखी लगभग 10,000 साल बाद फटा है, और इस विस्फोट के दौरान राख का बादल 10 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक उठ गया। विशेषज्ञों के मुताबिक यह बेहद दुर्लभ भू-वैज्ञानिक घटना है और आने वाले दिनों में इसका असर आसपास के मौसम, वायु गुणवत्ता और ऊंचाई पर उड़ानों पर दिखाई दे सकता है।
