महर्षि वाल्मीकि बोर्ड घोटाला: कांग्रेस नेताओं के घर ED की दबिश, बेंगलुरु और बेल्लारी में एक साथ 8 ठिकानों पर कार्रवाई

कर्नाटक: वाल्मीकि बोर्ड घोटाले में कांग्रेस नेताओं पर ED की छापेमारी।
Valmiki Board Scam: कर्नाटक में हुए महर्षि वाल्मीकि जनजाति कल्याण बोर्ड घोटाले पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जांच शुरू की है। बुधवार सुबह ईडी की टीम बेंगलुरु और बेल्लारी स्थित कांग्रेस के चार बड़े नेताओं और उनके सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी की है। ED के अधिकारी एक साथ 8 जगहों पर सर्चिंग कर रहे हैं।
किन-किन नेताओं पर छापा?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार सुबह कांग्रेस सांसद ई. तुकाराम, कांग्रेस विधायक ना. रा. भरत रेड्डी, कांग्रेस MLA जे. एन. गणेश उर्फ कांपली गणेश पूर्व मंत्री बी. नागेंद्र और उनके निजी सहायक गोवर्धन के घर पर एक साथ दबिश दी है। ईडी की 15 सदस्यीय टीम बेल्लारी में 5 जगह और बेंगलुरु में 3 जगह पड़ताल कर रही है।
क्या है महर्षि वाल्मीकि कल्याण बोर्ड घोटाला?
महर्षि वाल्मीकि कल्याण बोर्ड में 187 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप है। ईडी ने पूर्व मंत्री व कांग्रेस विधायक बी. नागेंद्र को इसका मास्टरमाइंड बताया है। आरोप है कि 89.62 करोड़ फर्जी संस्थाओं के बैंक खातों में ट्रांसफर कर इस राशि को धनशोधन (money laundering) में इस्तेमाल किया गया है।
सिद्धरमैया सरकार द्वारा गठित SIT ने इस मामले में पूर्व मंत्री विधायक बी. नागेंद्र को क्लीन चिट दे चुकी है। ED ने सीबीआई और कर्नाटक पुलिस की FIR के आधार पर कार्रवाई शुरू की है।
अधिकारी की आत्महत्या से हुआ खुलासा
महर्षि वाल्मीकि कल्याण बोर्ड घोटाले का खुलासा लेखा अधीक्षक पी. चंद्रशेखरन (52) ने आत्महत्या के बाद हुआ है। पी. चंद्रशेखरन ने सुसाइड नोट में एक मंत्री को जिम्मेदार ठहराते हुए इस घोटाले और राजनीतिक दबाव के आरोप लगाए थे। उन्होंने सुसाइड नोट में फंड ट्रांसफर और फर्जीवाड़ा छिपाने का ज़िक्र भी किया था।
सीएम का आरोप, BJP ने SIT पर उठाए सवाल
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की संलिप्तता का आरोप लगाया है। कहा, वित्त विभाग चूंकि उनके पास है, इसलिए सीएम के दखल के बिना ये इतना बड़ा भुगतान संभव नहीं है। वहीं कांग्रेस नेता बी. नागेंद्र ने राजनीतिक रूप से निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया है। SIT ने चार्जशीट में किसी नेता का नाम नहीं जोड़ा। भाजपा ने इस पर भी सवाल उठाए। कहा, - SIT की जांच क्या सिर्फ सफाई देने के लिए थी?