Parliament Panel: मेधा पाटकर और प्रकाश राज को देख भड़के BJP सांसद, रद्द करनी पड़ी संसदीय समिति की बैठक; जानें वजह

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BJP का संसद समिति से वॉकआउट: मेधा पाटकर और प्रकाश राज पर आपत्ति के बाद बैठक रद्द

बीजेपी सांसदों ने मेधा पाटकर और प्रकाश राज को संसदीय समिति की बैठक में गवाह के तौर पर बुलाए जाने पर विरोध जताया। कोरम पूरा न होने से बैठक रद्द, जानें पूरा घटनाक्रम।

Medha Patkar-Prakash Raj Controversy : संसद में भूमि अधिग्रहण कानून 2013 पर आयोजित स्थायी समिति की बैठक विरोध की भेंट चढ़ गई। इसमें सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और अभिनेता प्रकाश राज को देख भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद भड़क गए। विरोध जताते हुए बैठक से वॉकआउट कर दिया। जिसके बाद कोरम पूरा न होने की बात कहकर बैठक रद्द कर दी गई।

यह बैठक भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 के क्रियान्वयन और पारदर्शिता पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी, लेकिन भाजपा सांसदों के विरोध के चलते कोरम पूरा नहीं हो पाया। बीजेपी सांसदों का कहना है कि मेधा पाटकर और प्रकाश राज को बिना जानकारी दिए बुलाया गया। जबकि, कांग्रेस ने तर्क दिया इसके लिए पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया है।

BJP सांसदों ने क्या कहा ?
BJP सांसदों का कहना है कि हमें पहले से नहीं बताया गया कि किन लोगों को बैठक में में बुलाया जा रहा है। प्रकाश राज और मेधा पाटकर को 'राष्ट्रविरोधी' और 'शहरी नक्सली' कहकर बैठक का बहिस्कार कर दिया। बिहार के चंपारण से भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने कहा, मेधा पाटकर जैसी विवादित हस्तियों को बिना जानकारी के नहीं बुलाना चाहिए था।

कांग्रेस और विपक्ष का तर्क

  • बैठक की अध्यक्षता कर रहे कांग्रेस सांसद सप्तगिरि शंकर उलाका ने कहा कि सभी गवाहों के नाम लोकसभा स्पीकर कार्यालय से अनुमोदित थे। “संसद में हर दृष्टिकोण को सुनना लोकतंत्र का मूल है। आप असहमत हो सकते हैं, लेकिन लोकतांत्रिक प्रणाली में चर्चा ही समाधान है।
  • कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने भाजपा सांसदों की आलोचना करते हुए कहा, “आप लोकतंत्र की आत्मा का अपमान कर रहे हैं। अगर कोई गवाह बुलाया गया है, तो उसकी बात सुनना जरूरी है, सहमति-असहमति बाद में हो सकती है।”

बैठक क्यों हुई रद्द?
संसद की स्थायी समिति में कुल 29 सदस्य हैं। बैठक में 14 मेम्बर ही उपस्थित रहे। BJP और सहयोगी दलों के 8 सांसदों ने बहिष्कार कर दिया। जिस कारण कोरम अधूरा होने की बात कहकर बैठक स्थगित कर दी गई।

भाजपा की तीखी टिप्पणियाँ
अगर मेधा पाटकर और प्रकाश राज को बुला सकते हैं, तो अगली बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को भी बुला लीजिए। शहरी नक्सलियों को संसदीय समितियों में क्यों बुलाया जा रहा है? गवाहों की सूची छिपाई गई, प्रक्रिया अपारदर्शी थी। वहीं सोशल मीडिया में भी इसे लेकर तहर तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। एक यूजर ने लिखा कि संसद विचारों को दबाने का मंच बन गई है? BJP को डर है कि कहीं असलियत सामने न आ जाए। क्या यह लोकतंत्र का मज़ाक है या राजनीति का रंगमंच?

आगे क्या होगा?
यह विवाद संसद की कार्यप्रणाली और लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर नई बहस खड़ी कर रहा है। समिति की अगली बैठक की तारीख फिलहाल तय नहीं की गई, लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या संसदीय प्रक्रियाएं अब विचारधाराओं की बलि चढ़ रही हैं?

मेधा पाटकर और प्रकाश राज पर विवाद क्यों
मेधा पाटकर नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख चेहरा रही हैं। उन्होंने सरदार सरोवर बांध परियोजना का विरोध किया है। इसी वजह से वे लंबे समय से बीजेपी नेताओं के निशाने पर हैं। वहीं, प्रकाश राज खुले तौर पर भाजपा की आलोचना करते रहे हैं, जिस कारण से पार्टी के कई नेता उन्हें ‘राजनीतिक विरोधी’ के रूप में देखते हैं।

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