Census 2027: क्या होंगे सवाल, क्यों अहम है जातिगत जनगणना? जानिए पूरी प्रक्रिया

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Census 2027: क्या होंगे सवाल, क्यों अहम है जातिगत जनगणना? जानिए पूरी प्रक्रिया

भारत में 2027 की जनगणना में क्या होंगे नए सवाल? जानिए जातिगत जनगणना का इतिहास, इसके पक्ष-विपक्ष और सामाजिक प्रभाव।

India Caste Census 2027 : भारत सरकार ने जनगणना 2027 के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसके अनुसार, लद्दाख, जम्मू कश्मीर सहित 4 पहाड़ी राज्यों में जनगणना 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगी। जबकि, देश के अन्य राज्यों में यह प्रक्रिया 1 मार्च से 2027 से शुरू होगी। आजाद भारत के इतिहास में पहली बार हो रही जातिगत जनगणना दो चरणों में संपन्न कराई जाएगी। इसके लिए विशेष प्रश्नावली तैयार की गई है।

जानकारों का मानना है कि भारत की जनगणना सिर्फ संख्या भर की गिनती नहीं है, बल्कि यह समाज, आर्थिक स्थिति, शिक्षा स्तर, भाषाई विविधता, और अब संभावित रूप से जातीय संरचना को समझने का भी एक बड़ा जरिया है। 1881 से शुरू हुई जनगणना परंपरा को 2021 में कोविड के कारण रोका गया था, लेकिन अब 2027 की जनगणना को लेकर सरकार की तैयारियां तेज़ हैं।

जनगणना अधिकारी क्या पूछेंगे?

जनगणना दो चरणों में होनी है। पहले चरण में घर सूचीकरण और दूसरे चरण में व्यक्तिगत गणना होगी। इसके लिए निन्म लिखित सवाल पूछे जाएंगे।

जनगणना चरण -1: घर सूचीकरण में पूछे जाने वाले सवाल

  • घर की छत व दीवार किस सामग्री की बनी हैं?
  • पीने का पानी कहां से आता है?
  • शौचालय की व्यवस्था कैसी है?
  • क्या घर में गैस/लकड़ी/गोबर के उपले से खाना पकता है?
  • क्या स्मार्टफोन, इंटरनेट, कंप्यूटर उपलब्ध हैं?
  • वाहन कौन-सा है – साइकिल, बाइक, कार?

जनगणना चरण -2: जनसंख्या गणना में पूछे जाने वाले सवाल

  • नाम, लिंग, उम्र
  • धर्म, जाति (एससी/एसटी/अन्य)
  • मातृभाषा, शिक्षा का स्तर
  • पेशा, आय का स्रोत
  • वैवाहिक स्थिति, दिव्यांगता की स्थिति

जातिगत जनगणना: बहस का विषय क्यों?
1931 तक भारत में सभी जातियों की जनगणना होती थी, लेकिन आजादी के बाद केवल अनुसूचित जातियों और जनजातियों के आंकड़े जारी किए जाते हैं। OBC वर्ग, जो देश की बड़ी जनसंख्या मानी जाती है, उसके बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।

जातिगत जनगणना की मांग क्यों?
जातिगत जनगणना की मांग बहुत पुरानी है। 80 के दशक में लालू, नीतीश, शहर यादव सहित ओबीस के तमाम नेताओं ने संसद से लेकर सड़क इसकी मांग उठाई, जिसके बाद मंडल आयोग बना, लेकिन जातीय गणना नहीं हुई। पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस मुद्दे को लेकर मुखर थे। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि ओबीसी की संख्या, शिक्षा, नौकरी और स्वास्थ्य का सही डाटा उपलब्ध नहीं है। जिस कारण आरक्षण नीति सही तरीके से लागू नहीं हो पा रही। जातिगत जनगणना से पिछड़े वर्गों के लिए योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी।

जातीय जनणना का विरोध क्यों?
समाज का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है, जो जातिगत जनगणना का विरोध कर रहा है। उनका तर्क है कि इससे जातीय विभाजन को बढ़ावा मिलेगा। सामाजिक समरसता पर असर पड़ सकता है। लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने जातिगत जनगणना का विरोध करते हुए कहा था कि कांग्रेस समाज को बांटने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस की मांग को काउंटर करने के लिए ...एक रहेंगे तो नेक रहेंगे और कटेंगे तो बंटेंगे जैसे नारे उछाले गए थे।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

  • समाजशास्त्री योगेंद्र यादव की मानें तो एक पारदर्शी जातिगत जनगणना से ही ओबीसी समुदाय की वास्तविक स्थिति सामने लाई जा सकती है। मंडल आयोग (1990) भी 1931 की जनगणना के आधार पर बना था। अब जब जनसंख्या में बड़ा बदलाव हो चुका है, तो 90 साल पुराने आंकड़े अब अप्रासंगिक हो चुके हैं।
  • 2027 की जनगणना न सिर्फ देश की जनसंख्या, बल्कि सामाजिक संरचना, संसाधन पहुंच, डिजिटल भिन्नता और शायद अब जातिगत आधार पर भी एक ऐतिहासिक पड़ाव हो सकती है। यह जनगणना आने वाले दशक की नीतियों और आरक्षण व्यवस्था की दिशा तय कर सकती है।
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