हाइड्रोपावर डिप्लोमेसी: अरुणाचल सीमा पर 'वॉटर बम' बना रहा चीन, CM ने जताई चिंता ; जाने क्या कहा?

अरुणाचल के मुख्यमंत्री की चेतावनी: ब्रह्मपुत्र पर चीन का बांध ‘वॉटर बम’, भारत के लिए खतरा
China Brahmaputra Dam: भारत-चीन सीमा पर निर्माणाधीन जलविद्युत बांध पर अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने गहरी चिंता जताई है। बुधवार, 9 जुलाई को उन्होंने PTI से बात करते हुए इसे 'वॉटर बम' बताया। कहा, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, नदी पारिस्थितिकी तंत्र और जनजातीय आजीविका के लिए यह बांध अस्तित्वगत खतरा है।
ब्रह्मपुत्र पर चीन का नियंत्रण, भारत के लिए जोखिम
- मुख्यमंत्री खांडू ने यह भी कहा कि चीन तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर दुनिया का सबसे बड़ा जलविद्युत बांध बना रहा है। तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी को यारलुंग त्सांगपो के नाम से जाना जाता है।
- मुख्यमंत्री खांडू ने आशंका जताई कि चीन ने अगर अचानक बांध से पानी छोड़ दिया तो पूरा सियांग क्षेत्र तबाह हो जाएगा। खांडू ने कहा, यह सिर्फ पर्यावरण या बाढ़ का मुद्दा नहीं है, बल्कि बड़े रणनीतिक खतरे की तरह है। चीन इसे ‘वॉटर बम’ की तरह उपयोग कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय संधियों से चीन बाहर क्यों?
- सीएम खांडू ने PTI से चर्चा के दौरान एक अहम बिंदु उठाया। कहा, चीन ने अब तक किसी अंतरराष्ट्रीय जल-साझाकरण समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए। जो उसे ब्रह्मपुत्र जैसी सीमा-पार नदियों के मामले में पारदर्शिता और ज़िम्मेदारी निभाने को बाध्य करे।
- मुख्यमंत्री खांडू ने आगे कहा कि चीन ने अगर जल समझौतों पर हस्ताक्षर किए होते तो ये परियोजना भी भारत और बांग्लादेश के लिए बाढ़ नियंत्रण में मददगार बनती।
भारत की सियांग परियोजना कितनी कारगार?
अरुणाचल सरकार और केंद्र सरकार ने मिलकर ‘सियांग अपर बहुउद्देशीय परियोजना’ पर काम शुरू किया है। खांडू के मुताबिक, भारत का यह रक्षात्मक बांध होगा, जो चीन के बांध से संबंधित अन्य खतरों का मुकाबला करने में मदद करेगा। यानी चीन अगर पानी छोड़ता है तो इस परियोजना के जरिए हम बाढ़ को नियंत्रित कर सकेंगे।
चीन की यारलुंग त्सांगपो परियोजना क्या है?
- चीन ने यारलुंग त्सांगपो परियोजना की घोषणा 2021 में की थी। 2024 में इसे आधिकारिक मंजूरी मिली। 137 अरब डॉलर की लागत वाले इस प्रोजेक्ट से 60 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य है।
- यह बांध हिमालय के पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील और भूकंप संभावित क्षेत्र में स्थित है। जिससे भविष्य में इसके जरिए आपदा पैदा करने की आशंका और बढ़ जाती है।
VIDEO | EXCLUSIVE: China's mega dam being built near the Arunachal Pradesh border will be a ticking "water bomb," an existential threat more dangerous than its military, the state's chief minister Pema Khandu (@PemaKhanduBJP) has said.
— Press Trust of India (@PTI_News) July 9, 2025
Speaking to PTI Editor-in-Chief Vijay… pic.twitter.com/0LhctGNnIN
स्थानीय समुदायों पर खतरा
मुख्यमंत्री खांडू ने विशेष तौर पर अरुणाचल की आदि जनजाति का उल्लेख किया। बताया कि इनकी आजीविका ब्रह्मपुत्र से जुड़ी है। बाढ़ की स्थिति में इन समुदायों को अपूरणीय नुकसान झेलना पड़ सकता है। इनके खेत, पशुधन, जनहानि और पारंपरिक जीवनशैली तक खतरे में पड़ सकती है।
भारत सरकार की क्या है तैयारी?
केंद्र सरकार ने मार्च 2025 में संसद में स्पष्ट किया था कि वह चीन की हर जल परियोजना पर बारीकी से नजर रख रही है। इस दौरान यह भी बताया गया कि भारत अपने हितों की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगा। हालांकि, विशेषज्ञ सूचना के अभाव और संधि की गैर-मौजूदगी में भारत की रणनीतिक स्थिति को कमजोर आंक रहे हैं।
चीन की हाइड्रोपावर डिप्लोमेसी क्या है?
विशेषज्ञों की मानें तो चीन दुनियाभर में ‘हाइड्रोपावर डिप्लोमेसी’ चला रहा है। जिसके तहत वह नदियों के स्रोतों को नियंत्रित कर अन्य देशों पर दबाव बना सकता है। ब्रह्मपुत्र जैसी सीमा पार नदियों पर उसका वर्चस्व भारत और बांग्लादेश दोनों देशों के लिए कूटनीतिक हथियार बनेगा।
