Rural Tourism: 5 अनोखे गांव, जहां प्रकृति और परंपराओं के बीच मिलता है खास अनुभव

देश के 5 अनोखे गांव, जहां प्रकृति और परंपराओं के बीच मिलता है खास अनुभव
Rural Tourism: भागदौड़ भरी ज़िंदगी से दूर, आप अगर ऐसे पर्यटन केंद्रों की तलाश में हैं, जहां प्राकृतिक शांति, सांस्कृतिक विरासत और ग्रामीण जीवन का असली स्वाद एक साथ मिले तो भारत के ये पाँच गाँव बेहतर विकल्प हो सकते हैं। यहाँ न केवल सुकून, बल्कि आत्मा तृप्त कर देने वाला गांव के परंपरागत व्यंजनों का स्वाद भी मिलेगा। आत्मीयता से भरा लोगों के स्नेह के बीच भारत की प्राचीन संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलेगा।
कांगेर घाटी: आदिवासी जीवन का अद्भुत अनुभव
बस्तर के जंगलों में बसे होमस्टे न केवल आदिवासी संस्कृति के जीवंत संग्रहालय हैं, बल्कि वहाँ के मेहमान वास्तविक जंगल जीवन, स्थानीय नृत्य, भोजन और हस्तशिल्प का गहराई से अनुभव करते हैं। कांगेर घाटी नेशनल पार्क, छिंदक नागवंशीय कला, परंपरागत गीत और संगीत यहां मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं। पर्यटक यहां जगदलपुर एयरपोर्ट या फिर राजधानी रायपुर से ट्रेन बस और टैक्सी के जरिए 6-7 घंटे में पहुंच सकते हैं।

चमारू गांव: ध्यान-योग और आत्म-खोज का ठिकाना
पंजाब के पटियाला जिले में स्थित चमारू गांव ध्यान-योग और प्राकृतिक सौन्दर्य का अद्भुत केंद्र है। प्रसिद्ध योग गुरु नवतेज जौहर ने रिट्रीट केंद्र स्थापित किया हुआ है। यह केंद्र ऐसे लोगों के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है, जो शहरी जीवन से दूर मानसिक शांति, ध्यान और योग की तलाश में हैं। यहां प्रतिदिन योग और मेडिटेशन के सेशन संचालित होते हैं। जिसमें सादा जीवन और गहरी शांति का अनुभव होता है। चमारू गांव स्थित यह रिट्रीट केंद्र पटियाला से ज्यादा दूर नहीं है। करीब एक घंटे लगते हैं। चंडीगढ़ एयरपोर्ट से भी पहुंचा जा सकता है। संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता नर्तक और योग विशेषज्ञ नवतेज सिंह जौहर ने इसे 2020 के किसान आंदोलन के दौरान शुरू किया था।
बुर्जा हवेली: देहाती जीवन और राजसी ठाट
राजस्थान के अलवर जिले में स्थित बुर्जा हवेली राजसी ठाठ और पारंपरिक वस्तुकला का अनोखा संगम है। बुर्जा जमींदार परिवार के वंशज उपेंद्र सिंह राठौर को यह हवेली विरासत में मिली है। इसका 250 साल पुराना इतिहास है। हवेली का रखरखाव इस अंदाज में किया गया है कि यह पुरातन पद्धतियों और परंपराओं का अहसास कराती है। करीब 3,500 अधिक आबादी वाले गाँव में यह सुखद अनुभव देने वाली संरचना है। प्रबंधक वैभव कौशिक कहते हैं इसे बुर्जा हवेली नहीं होमस्टे कहिए। लगभग दो दशकों से यह मेहमानों का स्वागत कर रही है।

बुर्जा हवेली में पारंपरिक संगीत-नृत्य, स्थानीय व्यंजन, आर्ट गैलरी और एम्फीथिएटर प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। अलवर राजगढ़ रोड पर स्थित यह हवेली दिल्ली से लगभग 3 घंटे की दूरी पर है।
सरमोली: हिमालय की गोद में प्रकृति का आनंद
भारत तिब्बत सीमा पर स्थित उत्तराखंड का सरमोली गांव खास मेहमानवाजी के लिए विख्यात है। मुन्सियारी के नज़दीक सरमोली गाँव से पंचाचुली पर्वतों का दृश्य अद्वितीय है। यहां हिमालयन आर्क जैसे संगठनों द्वारा होमस्टे चलाए जाते हैं, जो महिलाओं और स्थानीय लोगों को न सिर्फ सशक्त बनाते हैं, बल्कि पर्यटकों को यहां परंपरा और संस्कृति से रूबरू कराते हैं।

पर्यटक यहां स्थानीय लोगों के साथ हिमाल कलासूत्र त्योहार मनाते हैं। साथ ही ट्रैकिंग, बर्ड वॉचिंग, स्थानीय गाइड के साथ जंगल सफारी करते हैं। काठगोदाम तक ट्रेन और फिर टैक्सी के जरिए मुन्सियारी पहुंच सकते हैं। इसके अलावा पंतनगर हवाई अड्डा से भी पहुंचा जा सकता है।

लाडपुरा खास: इतिहास और संस्कृति का समागम
मध्य प्रदेश में निवाड़ी जिले का लाडपुरा खास गांव ग्रामीण पर्यटन का अद्धभुत नमूना है। यहां स्थित होमस्टे में पर्यटक तारों को निहारते हैं, पक्षियों के गीत सुनते हैं और सब्ज़ियाँ तोड़ते हैं। पूर्व राजाओं की समाधि स्थलों और बेतवा नदी के शांत नीले रंग के साथ यहां के आकर्षण का कोई तोड़ नहीं है। लाडपुरा खास गांव यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल ओरछा के पास स्थित है। मुगल सम्राट जहाँगीर ने ओरछा में कदम रखा था और ओरछा किले में अलंकृत जहाँगीर महल उनके सम्मान में बनाया गया था। इसके अतीत की भव्यता, देहाती संस्कृति की खोज का मार्ग प्रशस्त कर रही है।
