26/11 आतंकी हमला: चिदंबरम का खुलासा, बोले- बदले की भावना थी लेकिन अमेरिकी दबाव से टली पाक पर कार्रवाई; BJP का हमला तेज

नई दिल्ली: 26/11 मुंबई आतंकी हमलों को लेकर पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने 17 साल बाद बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि हमलों के तुरंत बाद उनके मन में “बदले की भावना” आई थी और पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई पर भी चर्चा हुई थी। लेकिन अमेरिका और वैश्विक समुदाय के दबाव के चलते भारत को कदम पीछे खींचना पड़ा।
चिदंबरम ने सोमवार (29 सितंबर 2025) को ABP को दिए विशेष साक्षात्कार में बताया कि तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस भारत आई थीं और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा उनसे मुलाकात की थी। राइस ने साफ तौर पर कहा- “कृपया प्रतिक्रिया न दें, युद्ध शुरू न करें।” इसके बाद विदेश मंत्रालय (MEA) और भारतीय विदेश सेवा (IFS) की सलाह पर जवाबी कार्रवाई टाल दी गई।
26/11 हमला: एक दर्दनाक याद
26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकी समुद्री रास्ते से मुंबई पहुंचे। CST स्टेशन, ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, कामा अस्पताल, नरीमन हाउस और लियोपोल्ड कैफे को निशाना बनाया गया। इस हमले में 166 लोगों की मौत और 300 से अधिक घायल हुए। आतंकी अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया, जिसे 2012 में फांसी दी गई। चिदंबरम ने बताया कि वे 30 नवंबर 2008 को गृह मंत्री बने थे। उस समय प्रतिशोध का विचार उनके मन में आया था, लेकिन यह निर्णय पूरी सरकार का होना था।
भाजपा का पलटवार
चिदंबरम के बयान पर भाजपा ने कांग्रेस को घेरा। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा- “विदेशी दबाव में कांग्रेस ने मौका गंवा दिया। अगर तब कार्रवाई होती तो पाकिस्तान सबक सीखता।” भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सवाल उठाया कि क्या सोनिया गांधी या मनमोहन सिंह ने कार्रवाई रोकने का फैसला लिया था।
भाजपा नेताओं ने इसे मौजूदा मोदी सरकार से तुलना करते हुए कहा कि उरी (2016), पुलवामा (2019) और पहलगाम (2025) हमलों के बाद सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयर स्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाइयों से पाकिस्तान को करारा जवाब दिया गया।
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
सोशल मीडिया पर भी इस बयान ने बहस छेड़ दी। ट्विटर/X पर @PoliticalKida ने लिखा – “यूपीए ने 26/11 के बाद पाकिस्तान पर हमला इसलिए नहीं किया क्योंकि अमेरिका ने मना किया। अब वही कांग्रेस मोदी सरकार के ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठा रही है।” इस वीडियो पोस्ट को हजारों लोगों ने लाइक और शेयर किया।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उस समय भारत की सैन्य और कूटनीतिक स्थिति सीमित थी, इसलिए अंतरराष्ट्रीय दबाव झेलना मजबूरी थी। लेकिन भाजपा इसे कांग्रेस की कमजोरी बता रही है। चिदंबरम ने स्पष्ट किया- “यह आतंकवाद पर नरमी नहीं थी, बल्कि रणनीतिक फैसला था। मैंने कोई रहस्य उजागर नहीं किया, बस व्यक्तिगत विचार साझा किए हैं।”
