म से मुलायम-म से मोदी के बीच सियासी जंग!

म से मुलायम-म से मोदी के बीच सियासी जंग!
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भाजपा की तरह सपा भी हाईटैक हुई
बदायूं। आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जी-जान से जुटे राजनीतिक दलों की नजरें उत्तर प्रदेश पर टिकी हुई है। सबसे ज्यादा 80 संसदीय सीटों वाले यूपी में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी अपना मुकाबला भाजपा से ही मानकर चल रही है। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव इस बात को स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि म से मुलायम और म से मोदी के बीच ही जंग होनी है। शायद तभी तो जिस दिन उत्तर प्रदेश में भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की रैली होती है तो उसी दिन सपा भी अपनी रैली आयोजित करती आ रही है, लेकिन अभी तक मोदी की रैली का मुकाबला करने में सपा कामयाब नहीं हो पाई है।


नरेन्द्र मोदी की बनारस में हुई रैली के मुकाबले भले ही सपा प्रमुख ने इसी दिन बदांयू में हुई सपा की विकास रैली की भीड़ को देखकर उत्साहित स्वर में बोला हो कि बदायूं की जनता ने भाजपा यानि मोदी की रैली को भी पछाड़कर यह साबित कर दिया है कि सूबे की जनता राज्य में मोदी के पैर नहीं जमने देगी। इसमें कोई दो राय नहीं कि बदायूं में सपा की विकास रैली इससे पहले बरेली में 21 नवंबर की रैली से बेहतर भीड़ वाली कही जा सकती है। सपा की तकनीकियों से युक्त इस रैली ने अपनी पिछली रैलियों के रिकार्ड को ही दुरस्त किया है, हालांकि यूपी में मोदी की अभी तक हुई रैलियों से मुकाबला करना बेमाने होगा। हां इतना जरूर है कि भाजपा और कांग्रेस की रैलियों में अपनाई जाने वाली तकनीकों को अभी तक कंप्यूटर विरोधी मानी जाने वाली सपा ने भी अब लेपटॉप की राजनीति शुरू कर दी है।

इसका असर बरेली की तरह ही बदायूं जिले के नजदीक गुनौरा वाजिदपुर स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज के शिलान्यास व विकास रैली में भी दिखा, जहां मंच की साजसज्जा तकनीक पर आधारित रही, जिसमें आधुनिक तकनीक थ्री डी साउंड सिस्टम और विशाल एलईडी की मदद से बने हाई-फाई सिस्टम से सुसज्जित मंच तैयार किया गया था। मंच के साथ ही पंडाल भी आधुनिक तकनीक से तैयार किये गये थे। इस रैली में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव भीड़ को देखकर गदगद नजर आए और अपने परिवार के ही बदायूं के सांसद धर्मेन्द यादव की पीठ थपथपाने व उनकी तारीफों के पुल बांधने में भी पीछे नहीं रहे। सपा प्रमुख मुलायम सिंह तो रैली की सफलता से इतने उत्साहित नजर आए कि उन्होंने कहा कि लखनऊ फतेह हो चुका है और अब लगता है कि दिल्ली फतेह दूर नहीं है।

रैलियों से जवाब देने की होड़लोकसभा चुनाव की सियासत में जब रैलियों की बात चलती है, तो देशभर में सबसे पहले नरेंद्र मोदी की रैलियों के दृश्यों का ही जिक्र सामने आता है। मोदी की रैलियों की चर्चा देशभर में लोकप्रिय हो रही है तो उत्तर प्रदेश की सियासत में सत्तारूढ़ दल समाजवादी पार्टी भी नरेन्द्र मोदी को रैलियों से ही प्रेरित होकर जवाब देने में जुटी हुई है। जहां तक इन रैलियों का सवाल है उसमें मोदी की बनारस रैली के मुकाबले सपा ने बदायूं में रैली करके जवाब देने का प्रयास किया। इससे पहले 21 नवंबर को जब नरेन्द्र मोदी आगरा में गरजे तो सपा के मुखिया बरेली में गरजे। इससे पहले सपा आजमगढ़ और मैनपुरी में भी रैलियां कर चुकी हैं, लेकिन इन सभी रैलियों के मुकाबले बदायूं की रैली की भीड़ देखकर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की जान में जान आई। सपा अहसास कराना चाहती है कि उत्तर प्रदेश सपा के जनाधार वाला सूबा है और यहां वह अन्य किसी दल से अपने आपको कम नहीं आंकवाना चाहती, तभी तो इस रैली में भीड़ के साथ ग्लैमर और तकनीक भी नजर आई।

- ओ.पी. पाल

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