तो इसलिए लोकसभा सचिवालय में अपनी संपत्ति का खुलासा नहीं कर रहे सांसद.....

तो इसलिए लोकसभा सचिवालय में अपनी संपत्ति का खुलासा नहीं कर रहे सांसद.....
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सांसदों की तरफ से सम्पति की जो जानकारी दी जाएगी, उसमें इजाफा होने पर सांसद को सम्पति में बढ़ोतरी का कारण बताना होगा।
नई दिल्ली. चुनाव आयोग में सम्पति का व्योरा दे चुके सांसद लोकसभा सचिवालय के सामने सम्पति का खुलासा करने से परहेज इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि सचिवालय का नया फार्मेट भविष्य में उनके लिए गले की फांस बन सकता है। सचिवालय द्वारा जो नया फार्मेट तैयार किया गया है, उसमें सांसद को पाई-पाई का हिसाब सार्वजनिक करना पड़ेगा। बस, यही डर सम्पति का खुलासा करने में बाधक बन गया है।
दरअसल लोकसभा सचिवालय में सम्पति का व्योरा देने वाला जो पुराना फार्मेट था, उसमें उतनी पारदर्शिता नहीं थी। सांसद मनमाने तरीके से जानकारी दे देते थे। आगे चलकर सांसद की सम्पति में चाहे जितना इजाफा हो जाय, उसके स्पष्टीकरण की जरूरत नहीं समझी जाती थी। परन्तु सचिवालय द्वारा जो नया फार्मेट लाया गया है, उसमें अनुमानित वाले अंदाज को खत्म कर दिया गया है। इस नए फार्मेट में सांसद को अपनी सम्पति का निश्चित आंकड़ा देना होगा। मसलन सांसद और उनकी पत्नी के पास यदि सोना-चांदी है, तो उसकी निश्चित मात्रा दर्शानी पड़ेगी। वह कितने तोला है। उसकी बाजार की कीमत क्या है। इसी तरह से जमीन के मामले में भी सांसद को बताना पड़ेगा कि उसके पास जो जमीन है, उसका क्षेत्रफल कितना है। मौजूदा सही कीमत बतानी होगी। वह जमीन चाहे खेती वाली हो या रिहायसी। यही नहीं गाड़ी की कंडीशन भी सांसद महोदय को बतानी होगी।
सूत्र बताते हैं कि सांसदों के लिए सचिवालय का नया फार्मेट खतरे की घंटी महसूस हो रहा है। क्योंकि उनकी तरफ से सम्पति की जो जानकारी दी जाएगी, उसमें इजाफा होने पर सांसद को सम्पति में बढ़ोतरी का कारण बताना होगा। हालांकि सम्पति का व्योरा देने की प्रक्रिया चुनाव लड़ने के समय से प्रारंभ हो जाती है।
नीचे की स्लाइड्स में देखिए, कर्मचारियों को 31 दिसंबर तक देना होगा पूरा व्यौरा -
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