काटजू ने फिर दिया विवादित बयान, बताईं बीफ खाने की पांच वजहें

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By - haribhoomi.com |5 April 2015 6:30 PM
काटजू ने कहा है कि मैंने गायों को कूड़ा-कचरा खाते देखा है। मैंने गायों की इतनी दुर्दशा देखी है कि उनकी पसलियां तक नजंर आती हैं।
नई दिल्ली. इन दिनों गौ हत्या को लेकर देश में बहस का दौर जारी है। लेकिन अब इस बहस में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्केडेय काटजू भी कूद पड़े हैं। उन्होंने गौ हत्या पर लगे प्रतिबंध का विरोध किया है। उन्होंने बैन को राजनीतिक बताया है। काजटू ने गौ हत्या पर लगे प्रतिबंध पर कहा कि यह मेरा फैसला है कि मैं क्या खाता हूं। जिस तरह मैं दूसरों को गौ मांस खाने के लिए जिद नहीं कर सकता उसी तरह कोई मुझे इस खाने से रोकने के लिए जिद नहीं कर सकता। काटजू ने यहां तक कह दिया कि गौ मांस प्रोटिन का सस्ता स्त्रोत है।
मैंने इसे खाया है और अगर दोबारा खाने का मौका मिले तो मैं दोबारा खाऊंगा। गौ मांस पर लगे प्रतिबंध का विरोध करते हुए उन्होंने अपने ब्लॉग पर इसके पांच तर्क दिये है। ब्लॉग की शुरुआत में ही उन्होंने राजनाथ सिंह के नाम का जिक्र किया है। एक कार्यक्रम में उन्होंने गौ हत्या पर राष्ट्रीय प्रतिबंध की मांग की थी। लोगों को इसमें सहयोग देने के लिए कहा था। इसका विरोध करते हुए राजनाथ ने पांच कारण लिखे है कि आखिर क्यों वो इसका विरोध करते है।
1 मुझे गोमांस खाने में कुछ भी गलत नहीं दिखता है। दुनिया में अधिकतर लोग गोमांस खाते हैं। क्या वे पापी लोग हैं?
2 गोमांस सस्ते प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। भारत में कई लोग उदाहरण के लिए उत्तर-पूर्वी राज्यों- नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा और दक्षिणी राज्य केरल, जहां गोमांस की बिक्री पर बैन नहीं है, इसे खाते हैं।
3 मैंने भी कुछ एक बार गोमांस खाया है। मैं अपनी पत्नी और रिश्तेदारों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए सामान्यत: गोमांस नहीं खाता हूं। लेकिन अगर मौका मिला, तो मैं इसे जरूर खाऊंगा। मैं किसी को गोमांस खाने के लिए विवश नहीं कर रहा हूं, लेकिन कोई मुझे इससे कैसे रोक सकता है? एक लोकतांत्रिक देश में खाने की आजादी होनी चाहिए।
4 इस तरह के बैन से दुनिया को हम पर हंसने का मौका मिलता है, क्योंकि इससे हमारी सामंती सोच का पता चलता है।
इससे पहले गौ हत्या प्रतिबंध पर अभिनेता ऋषि कपूर और सपा नेता आजम खां भी बयान दे चुके हैं। हाल ही में ऋषि कपूर ने कहा था कि वे गौ मांस खाते हैं लेकिन इससे किसी की भावना आहत होती है, गलत तर्क है।
उन्होंने कहा था कि मेरी भावना आहत नहीं हुई। आजम खां ने इस मामले पर कहा था कि भारत सरकार अगर गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाना चाहती है तो सबसे पहले उन्हें गौ मांस के निर्यात पर रोक लगानी चाहिए।
नीचे की स्लाइड्स में पढ़िए, काटजू का पांच वां तर्क-
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