भ्रष्टाचार मामला:दिग्विजय और श्रीनिवास समेत 19 के खिलाफ ''FIR'' दर्ज

भोपाल.जहांगीराबाद पुलिस ने कांग्रेस महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के खिलाफ विधानसभा में हुई अवैध नियुक्तियों के मामले में जालसाजी और भ्रष्टाचार का केस दर्ज कर लिया है। विधानसभा सचिवालय ने जस्टिस शचीन्द्र द्विवेदी की की रिपोर्ट को देखते हुए मामले की शिकायत जहांगीराबाद थाने में की थी। पुलिस ने धारा 420, 468, 471 और 120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) डी के तहत 19 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
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मामला 1993 से लेकर 2003 में विधानसभा में लिपिक सहित विभिन्न संवर्ग में हुई अवैध नियुक्तियों का है। यह सभी नियुक्तियां दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुई हुई हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अवैध नियुक्तियों की जांच के लिए जस्टिस शचीन्द्र द्विवेदी की एक कमेटी गठित की थी। वर्ष 2006 में ही कमेटी ने मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी। रिपोर्ट में भारी गड़बड़ी कर अवैध नियुक्तियों के मामले का खुलासा किया गया था और दोषियों पर प्रकरण दर्ज कराए जाने की अनुशंसा की गई थी। वहीं पिछल्ले दिनों विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा को भी यह रिपोर्ट सौंपी गई। इधर विधानसभा सचिवालय के डिप्टी सेकेट्री श्यामलाल ने मामले की शिकायत शुक्रवार को थाने में की। इसी आधार पर पुलिस ने दिग्विजय सिंह, श्रीनिवास तिवारी, एके पयासी सहित 19 नामजद लोगों को इसमें आरोपी बना लिया है।
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इनकी हुई अवैध नियुक्तियां
अवैध नियुक्तियों के मामले में सत्यनारायण शर्मा,कमलाकांत शर्मा, प्रदीप मिश्रा, आभा चतुर्वेदी, अमित कुमार अवस्थी, ब्रम्हचारी प्रसाद तिवारी, राजेश कुमार द्विवेदी,अरूण कुमार तिवारी, शुक्रमणि प्रसाद मिश्रा, शरद कुमार द्विवेदी, सुधीर कुमार तिवारी, अनिल कुमार मिश्रा, कुलदीप पाण्डे, देवेन्द्र तिवारी,राजेश तिवारी, एके पयासी, यज्ञनारायण शर्मा को आरोपी बनाया गया है।
इन धाराओं हुआ मामला दर्ज
विधि जानकारों के मुताबिक दिग्विजय सिंह और श्रीनिवास तिवारी सहित 19 लोगों के खिलाफ जिन धाराओं में मामला दर्ज हुआ है उसमें 420 धोखाधड़ी, 468 कूटरचित दस्तावेज तैयार करना, 471 इन दस्तावेजों का उपयोग , 120बी आपराधिक षणयंत्र है। यदि 19 आरोपियों पर इन सभी धाराओं में अपराध प्रमाणित होना पाया जाता है तो न्यूनतम सात साल से लेकर अधिकतम उम्र कैद की सजा हो सकती है। वहीं इसी मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा भी लगाई गई है जिसमें न्यूनतम तीन साल की सजा है।
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स्पेशल टीम गठित
इस मामले की विवेचना के लिए पुलिस ने एक स्पेशल टीम गठित कर दी है। यह स्पेशल टीम दिग्विजय सिंह और श्रीनिवास तिवारी के बयान लेने की तैयारी में है। वहीं जस्टिस की रिपोर्ट में अवैध नियुक्तियों के संबंध में जो साक्ष्य हैं पुलिस उनका परीक्षण कर रही है।
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