रिश्वत के खेल में विजिलेंस भी फेल, आखिर क्या है घालमेल

हरिभूमि न्यूज. जींद
जिला कारागार से बंदी को पीजीआई रेफर करने की एवज में दस हजार रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथो पकडे गए फार्मासिस्ट से विजिलेंस कुछ ज्यादा नहीं उगलवा पाई। पहले के मामलों की तरह पकडे गए व्यक्ति तक ही मामला निपट गया। जबकि फार्मासिस्ट को रेफर करने की कोई पावर नहीं है। रेफर चिकित्सकों द्वारा किया जाता है। विजिलेंस ने फार्मासिस्ट को बुधवार को अदालत में पेश किया। जहां से अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। जिसके साथ ही जेल से रेफर करने के खेल में विजिलेंस भी आगे तक कडी जोडने में फेल हो गई। आखिर यह घालमेल क्या है यह भी एक यक्ष प्रश्न है।
विजिलेंस ब्यूरो द्वारा रिश्वत के मामले में जांच उसी व्यक्ति तक सिमित रहती है जो रंगेहाथो पकडा जाता है। जबकि यह जगजाहिर होता है कि रिश्वत के खेल में ऊपर तक हिस्सेदारी होती है। शायद ही जिले में कोई मामला सामने आया हो जिसमे जांच आगे तक बढकर दूसरी कडी तक पहुंची हो। पकडे जाने वाले व्यक्ति पर भ्रष्टाचार का ठप्पा लग जाता है। जबकि पर्दे के पीछे रहने वाले लोगों तक पहुंचने की जहमत जांच एजेंसियां नहीं उठाती। चाहे इसके पीछे कुछ भी कारण समझे जा सकते हैं।
जेल से रेफर होकर भागने की थी कोशिश, पुलिस ने किया था विफल
पिछले वर्ष बदमाश जेल से पेट दर्द का बहाना बनाकर सामान्य अस्पताल के लिए रेफर हुआ था जो योजना का हिस्सा था। बदमाश को पुलिस हिरासत से फरार होना था। जिसको लेकर बदमाशों ने सामान्य अस्पताल में फिल्डिंग लगाई हुई थी। सीआईए स्टाफ को योजना की भनक लगी तो बदमाश के मंसूबों को सफलता नहीं मिली, यहां तक की बदमाशों ने पुलिस पार्टी पर फायरिंग भी की थी। उस दौरान भी बहानेबाजी और योजना बनाने को लेकर रेफर सिस्टम पर सवाल उठा था।
नहीं जुड रही आगे कडी
जेल फार्मासिस्ट जयबीर के दस हजार रुपये रिश्वत लेते पकडे जाने के बाद स्टेट विजिलेंस ब्यूरो के थाना प्रभारी ने मामले को लेकर जवाब दिया। उनका कहना था कि फार्मासिस्ट तीर नहीं तो तूके वाली कहावत पर रिश्वत ली। शिकायतकर्ता के पिता को रेफर किया जाना था, जिसके चलते फार्मासिस्ट ने रिश्वत ली। उससे आगे कडी नहीं जुड रही है, जबकि पकड़े जाने के बाद से प्रभारी मामले की जानकारी देने से भी साफ मना कर रहे थे।
स्टेट विजिलेंस ब्यूरो के डीएसपी कमलजीत ने बताया कि आरोपित ने अपने स्तर पर ही रिश्वत ली थी। इससे आगे कडी कहीं पर नहीं जुड रही है। जिसे अदालत में पेश कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।
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